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अडाणी ने क्‍यों कहा कि 8 घंटे घर रहने पर भी बीवी भाग जाएगी

कह‍ा -80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने के लिए कमाओ

दस्‍तक डेस्‍क: चर्चित उद्योगपति गौतम अडाणी ने साल पर अपने कर्मियों को गजब का ज्ञान दिया है। गौतम अडाणी ने कहा है कि कामकाजी जिंदगी मे संतुलन बनाए रखना जरूरी है। कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ चार घंटे बिताता है और उसमें आनंद पाता है, या कोई अन्य आदमी आठ घंटे बिताता है और उसमें आनंद लेता है, तो यह उसका बैलेंस है। इसके बावजूद अगर आप घर में आठ घंटे बिताते हैं, तो बीवी भाग जाएगी।’ अडाणी ने कहा है कि संतुलन तब महसूस होता है जब कोई व्यक्ति वह काम करता है जो उसे पसंद है। जब कोई व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि उसे कभी ना कभी जाना है, तो उसका जीवन आसान हो जाता है।

गौतम अडाणी का यह बयान इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति के सप्ताह में 70 घंटे काम करने वाले डिबेट के बीच आया है। इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति ने हाल ही में 70 घंटे वर्क कल्चर पर कहा था, ‘इंफोसिस में मैंने कहा था, हम दुनिया के टॉप कंपनियों के साथ अपनी तुलना करेंगे। अडाणी ने कहा- मैं तो आपको बता सकता हूं कि हम भारतीयों के पास करने के लिए बहुत कुछ है। हमें अपने एस्पिरेशन ऊंची रखनी होंगी क्योंकि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिलता है। इसका मतलब है कि 80 करोड़ भारतीय गरीबी में हैं। अगर हम कड़ी मेहनत करना नहीं चाहते, तो कौन करेगा कड़ी मेहनत?’

क्‍या का था नारायण मूर्ति ने
नारायण मूर्ति 1986 में 6 डे वर्किंग वीक से 5 डे वीक के बदलाव से निराश हैं। बाद में इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने वाले अपने विवादास्पद बयान का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति के लिए कड़ी मेहनत बहुत जरूरी है। CNBC ग्लोबल लीडरशिप समिट में मूर्ति ने कहा – मुझे खेद है, मैंने अपना दृष्टिकोण नहीं बदला है। मैं इसे अपने साथ कब्र तक ले जाऊंगा। उन्होंने कहा कि वे भारत के 6 दिन वर्किंग वीक से 5 दिन वीक के बदलाव से निराश थे। भारत के विकास के लिए त्याग की आवश्यकता है, न कि आराम की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हफ्ते में 100 घंटे काम करने की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा,’जब प्रधानमंत्री मोदी इतनी मेहनत कर रहे हैं, तो हमारे आसपास जो भी हो रहा है, उसे हम अपने काम के जरिए ही एप्रीशिएट कर सकते हैं।

गौरतलब है क‍ि कोरोना के बाद बढ़ गए काम के घंटे कोविड काल में काम के घंटे और ज्यादा बढ़ गए। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस एडनोम गेब्रेयेसस के मुताबिक एक तरफ वर्कफ्रॉम होम जैसी सुविधाओं ने घर और दफ्तर के अंतर को लगभग मिटा दिया। वहीं, दूसरी तरफ बहुत सी कंपनियों में छंटनी के बाद बचे कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया। कंपनियां और बॉस चाहते हैं कि कर्मचारी बिना किसी शिकायत बिना घड़ी देखे काम करते रहें। ऑफिस के बाद भी हर कॉल, मैसेज और ईमेल का तुरंत जवाब दें। दिन-रात, वीकेंड और छुट्टियों की परवाह किए बिना हर समय काम के लिए मौजूद रहें। कॉरपोरेट कल्चर और टेक्नोलॉजी ने कर्मचारियों से उनका पर्सनल स्पेस भी छीन लिया है।

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