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बढ़ते डेंगू मामलों को देख कोर्ट का फूटा गुस्सा, कही ये बात

नई दिल्ली: उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों की वृद्धि को नियंत्रित करने में नगर निगमों की विफलता पर कड़ी नाराजगी जाहिर कर दी है। अदालत ने बोला है कि इसे नियंत्रित करने के उनके पहले के निर्देश अधिकारियों के बहरे कानों पर अब तक नहीं पड़ी है। अपनी बात को जारी रखते हुए अदालत ने कहा जमीनीस्तर पर डेंगू को रोकने के लिए कोई कमद नहीं उठाया गया बल्कि निगम का कार्य टैक्स एकत्रित करना व कर्मचारियों को वेतन देने तक सीमित हो चुका है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ डेंगू के केसों में हो रही वृद्धि व उसके रोकथाम के उपायों पर असंतुष्टी व्यक्त करते हुए साउथ MCD के अधिवक्ता संजीव सागर से प्रश्न किया है आप क्या कर रहे हैं, डेंगू के केस इतने है । आप कुछ नहीं कर रहे हैं। आपको केवल वेतन चाहिए। आप इस वेतन और राशि के साथ क्या करते हैं? पीठ ने डेंगू के मुद्दे से निपटने के लिए नगर निगम द्वारा जमीनीस्तर पर कोई प्रगतिशील कदम नहीं उठाए जाने पर चिंता जाहिर की है।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पीठ ने बोला है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि हर साल डेंगू बढ़ रहा है? क्या इसे रोकने का काम नगरपालिका का नहीं है? पीठ ने प्रश्न उठाया क्या यह कोई रॉकेट साइंस है कि मानसून के उपरांत मच्छर होंगे। डेंगू होगा यह बीते 15 से 20 वर्षों से एक पैटर्न है। ऐसा कैसे हो सकता है कि हर बार आपकी दलील यह है कि आपके पास स्टाफ बहुत ही कम है। वास्तव में आपके पास अधिक स्टाफ हैं।

पीठ ने बोला है कि क्या ऐसा है कि नगर पालिका ने सब कुछ छोड़ दिया है और यह केवल करों को इकट्ठा करने और वेतन देने पर जोर? अगर वे काम नहीं करते तो वे वेतन की उम्मीद क्यों करते है। इतना ही नहीं पीठ ने अधिवक्ता से प्रश्न किया कि कितने लोगों को डेंगू मच्छर व चेक करने वालों को कर्तव्यों में लापरवाही की वजह बताओ नोटिस दिया गया है? जाहिर है कि आपके मच्छर चेकर्स, ब्रीडर कुछ भी नहीं करना चाहते है। वे जमीन पर नहीं जा रहे हैं। शायद वे सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं और आप उन्हें भुगतान कर रहे हैं।

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