क्या सितंबर के बाद भी 80 करोड़ गरीबों को मिलेगा मुफ्त राशन? सरकार जल्द लेगी फैसला
नई दिल्ली : गरीबों को मुफ्त राशन देने की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (Prime Minister Garib Kalyan Anna Yojana) को 30 सितंबर से आगे बढ़ाने पर सरकार (government) जल्द फैसला लेगी। इस कदम से करीब 80 करोड़ गरीबों को लाभ होगा। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने सोमवार को कहा, योजना की अवधि आगे बढ़ाने पर फैसला सरकार को करना है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि इस संबंध में फैसला कब लिया जाएगा। मार्च, 2020 में शुरू इस योजना की अवधि कई बार बढ़ाई जा चुकी है। अभी यह 30 सितंबर तक वैध है।
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सालाना आम बैठक में पांडेय ने कहा, ये बड़े सरकारी फैसले हैं… सरकार इस पर फैसला करेगी। पीएमजीकेएवाई (PMGKAY) के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) में शामिल 80 करोड़ लाभार्थियों को हर माह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम मुफ्त अनाज दिया जाता है। इससे गरीब परिवारों को कोरोना में लागू लॉकडाउन(lockdown) में मदद मिली थी। यह एनएफएसए के तहत सामान्य आवंटन से अधिक है।
सरकार जल्द ही अक्तूबर से शुरू होने वाले अगले विपणन वर्ष के लिए चीनी निर्यात कोटा की घोषणा करेगी। सरकार ने मई में 100 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी थी। बाद में इसमें 12 लाख टन की बढ़ोतरी की गई।
सरकार ने 26 मार्च को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को और छह महीने यानी 30 सितंबर, 2022 तक के लिए बढ़ाया था। मार्च तक इस योजना पर करीब 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सितंबर, 2022 तक और 80,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस तरह, पीएमजीकेएवाई के तहत कुल खर्च करीब 3.40 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाएगा। योजना के छठे चरण (अप्रैल, 2022 से सितंबर, 2022) तक कुल 1,000 लाख टन से ज्यादा अनाज मुफ्त बांटे गए हैं।
खाद्य सचिव ने कहा, देश में गेहूं का 2.4 करोड़ टन का पर्याप्त भंडार है। जरूरत पड़ने पर जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे ताकि घरेलू आपूर्ति बढ़ाई जा सके। सरकार व्यापारियों की ओर से गेहूं के भंडार (wheat stores) का खुलासा करने और घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्टॉक सीमा लगाने जैसे कदमों पर विचार कर सकती है। उन्होंने कहा, सट्टेबाजी के कारण गेहूं की कीमतों में तेजी आई है। फसल वर्ष 2021-22 के रबी सत्र में 10.5 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है।
सितंबर तक बढ़ाई गई मुफ्त अन्न योजना से खाद्य सब्सिडी 80,000 करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगी। सितंबर के बाद भी अगर इस योजना को जारी रखा जाता है तो सरकारी खजाने(public treasury) पर और बोझ बढ़ेगा। बड़ी बात यह है कि इसके लिए पैसा कहां से आएगा, जब वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) पहले ही हाथ खड़े कर चुका है। मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि इस योजना पर खर्च अपनी सीमाओं तक पहुंच चुका है। सितंबर के बाद भी मुफ्त अन्न योजना या फिर किसी और बड़ी टैक्स छूट के लिए अब जगह नहीं है।
दरअसल, तेल पर टैक्स घटाने से सरकार को एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस वजह से वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने आगाह किया है कि सरकार ऐसा कोई भी फैसला लेती है तो इसके परिणाम गंभीर होंगे। वित्तीय घाटा बेकाबू हो सकता है।
विभाग का कहना है कि खाद्य सुरक्षा का मामला हो या खजाने की स्थिति, किसी भी हालत में पीएमजीकेएवाई को सितंबर के बाद आगे बढ़ाने की सलाह नहीं दी जा सकती है।
विभाग ने एक नोट में कहा कि मुफ्त अनाज की योजना (grain plan) की समयसीमा में बढ़ोतरी, खाद सब्सिडी में वृद्धि, पेट्रोल-डीजल की शुल्क में कटौती और कई अन्य कदमों से वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ गया है। सरकार को अब वित्तीय घाटे को कम करने में मुश्किलें आ रही हैं।