संत कबीर और महात्मा बुद्ध के जिलों में चढ़ेगा सियासी पारा, क्या इस बार SP-BSP के हाथ आएगी एक भी सीट?
लखनऊ: महात्मा बुद्ध ने जहां दुनिया को शांति का संदेश दिया तो मगहर का रुख करते ही शांति का अहसास होने लगता है। लेकिन आजकल यहां का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। यूपी का विधानसभा चुनाव धीरे-धीरे अपने आखिरी दो चरणों की तरफ बढ़ चुका है। छठे चरण का चुनाव भगवान बुद्ध व संत कबीर की नगरी में है। संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर और कुशीनगर ऐसे ही जिले हैं जहां के परिणामों पर लोगों की नजर रहेगी। यहां न केवल बागियों के प्रभाव को कम करने की कोशिशें होंगी बल्कि साथ छोड़ कर गए सहयोगी दलों से भी निपटना होगा।
यहां की 15 सीटों में से 14 भाजपा व सहयोगी दलों के पास है, वहीं एक सीट कांग्रेस के पाले में है। पिछले चुनाव में सपा-बसपा का यहां खाता भी नहीं खुला था। इन क्षेत्रों का नाम इधर के वर्षों में काफी चर्चा में रहा, मगहर भी पर्यटन के नक्शे पर आया। कुशीनगर की सीटों पर सबसे जयादा नजरें टिकी हैं क्योंकि यहां से दिग्गजों ने पाला बदल दिया है। कांग्रेस छोड़ कर भाजपा जाने वाले आरपीएन सिंह, भाजपा छोड़ कर सपा में जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या यहीं से आते हैं। वहीं इस क्षेत्र से भाजपा को अपना साथ छोड़ कर गए सुभासपा की आक्रमकता से भी निपटना होगा। इसके जो प्रत्याशी पिछली बार भाजपा का चेहरा बने थे, इस बार सपा के होंगे। संत कबीर नगर का इलाका पीस पार्टी के प्रभाव वाला माना जाता है तो उनकी भी परीक्षा यहीं पर होगी।
भगवान बुद्ध की निर्वाण स्थली कुशीनगर में सात सीटे हैं लेकिन यहां इस बार भाजपा ने यहां पर अपने पुराने चेहरों पर भरोसा नहीं जताया है। यहां की छह सीटें भाजपा व उनके सहयोगी दलों के पास थी। पडरौना सीट से विधायक स्वामी प्रसाद मौर्या पाला बदल कर साइकिल पर सवार हैं लेकिन इस बार वह फाजिल नगर से मैदान में हैं। बसपा और सपा ने भी पिछली बार चुनाव लड़े पुराने प्रत्याशियों को बदल दिया है, केवल एक सीट पर ही पुराने प्रत्याशी उतारे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू यहां की तमकुहीराज से विधायक हैं और इस बार फिर से वह यहां से मैदान में हैं।