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विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस: सिर्फ चिंतित होने से काम नहीं चलेगा

विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस: सिर्फ चिंतित होने से काम नहीं चलेगा

विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस प्रतिवर्ष ’26 नवम्बर’ को मनाया जाता है। यह दिवस पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने एवं लोगों को जागरूक करने के सन्दर्भ में सकारात्मक कदम उठाने के लिए मनाते हैं।

यह दिवस ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (यूएनईपी) के द्वारा आयोजित किया जाता है। पिछले करीब तीन दशकों से ऐसा महसूस किया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण से जुड़ी हुई है।

इस सन्दर्भ में ध्यान देने वाली बात है कि करीब दस वैश्विक पर्यावरण संधियाँ और करीब सौ के आस-पास क्षेत्रीय और द्विपक्षीय वार्ताएं एवं समझौते संपन्न किये गाये हैं। ये सभी सम्मलेन रिओ डी जेनेरियो में किये गए।

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पृथ्वी सम्मलेन जो कि 1992 के संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास कार्यक्रम के आलोक में किये गए हैं। रिओ डी जेनेरियो में किया गया सम्मलेन अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण से जुड़े सम्मेलनों एवं नीतियों के सन्दर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण विन्दु था।

समझौते

मानवीय क्रियाकलापों की वजह से पृथ्वी पर बहुत सारे प्राकृतिक संसाधनों का विनाश हुआ है। इसी सन्दर्भ को ध्यान में रखते हुए बहुत सारी सरकारों एवं देशो नें इनकी रक्षा एवं उचित दोहन के सन्दर्भ में अनेकों समझौते संपन्न किये हैं। इस तरह के समझौते यूरोप, अमरीका और अफ़्रीकाके देशों में 1910 के दशक से शुरू हुए हैं।

इसी तरह के अनेकों समझौते जैसे- क्योटो प्रोटोकाल,मांट्रियल प्रोटोकाल और रिओ सम्मलेन बहुराष्ट्रीय समझौतों की श्रेणी में आते हैं। वर्तमान में यूरोपीय देशों, जैसे- जर्मनी में पर्यावरण मुद्दों के सन्दर्भ में नए-नए मानक अपनाए जा रहे हैं, जैसे- पारिस्थितिक कर और पर्यावरण की रक्षा के लिए बहुत सारे कार्यकारी कदम एवं उनके विनाश की गतियों को कम करने से जुड़े मानक आदि।

क्योटो प्रोटोकाल का मुख्य उद्देश्य विकसित देशों द्वारा वर्ष 2012 तक 1990 के ग्रीन हाउस गैसों के स्तर से 5% कम स्तर प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी तरह मांट्रियल प्रोटोकाल में ओजोन की परत को नष्ट करने वाले पदार्थों के उत्पादन को प्रतिबंधित करने का प्रावधान किया गया है।

ध्यान रहे की वर्ष 1998 में मांट्रियल में हुए सम्मलेन में विश्व के 12 ऐसे पदार्थों के उत्पादन को संपत करने का लक्ष्य रखा गया था जो कि प्रदूषण को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यावरण को भी हानि पहुंचा रहे थे।

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