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आठ महीने बाद कोराना उपचार में शामिल किया गया योग और आयुर्वेद

नई दिल्ली : आखिरकार आठ महीने बाद सरकार को योग व आयुर्वेद को कोविड 19 के उपचार के प्रोटोकॉल में शामिल करने का ध्यान आ ही गया। सारी दुनिया भारत में उपजे योग से प्रभावित है। योग शरीर को शक्ति, उर्जा, स्फूर्ति, सकारात्मक्ता, ओजस्विता प्रदान करता है व स्वास्थ्य को नयी दिशा देता है। योग गुरु गुलशन कुमार ने आज यहां कहा कि यही ख्याल देश कॆ स्वास्थ्य मंत्रालय व आयुष विभाग का उस समय आ जाता जब भारत में कोविड 19 की शुरुआत हुई थी। अगर उसवक्त योग व आयुर्वेद को कोरोना के प्रोटोकॉल में शामिल किया जाता है तो परिणाम अधिक सकारात्मक होते।

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उन्होंने कहा कि भारत के योग को पूरे विश्व में सराहा जाता रहा है। इस कोविड 19 काल में भारत दुनिया में एक मिसाल बन कर उभरकर आ सकता था यदि योग को अनिवार्य रूप से करने की बात कही जाती। मृत्यु दर और कम की जा सकती थी। जितना मास्क लगाने का प्रचार प्रसार पर जोर दिया गया उतना योग कराने पर जोर दिया जाता, प्रकृति के बारे में बताया जाता कि सुबह उठ कर उपासना कनी है, सूर्य की किरणों का स्नान करना है, शरीर की आन्तरिक शुद्धि करनी है तो परिणाम ज्यादा सकारात्मक होते।

मंत्र उच्चारण करते हुए सूर्य नमस्कार, यौगिक सूक्ष्म क्रियाएँ, आसन, प्राणायाम व ध्यान आदि करने के पश्चात आयुर्वेद का काढा दिया जाता तो शायद कोरोना से लडने की क्षमता अधिक बेहतर होती। योगी ने कहा कि यदि कोराना से लड़ने के लिए भारत अपना प्रोटोकॉल विश्व को दे तो तो पूरे विश्व में योग, ध्यान व आयुर्वेद से लोगों में नयी आशा का संचार होगा। विश्व भारत की आध्यात्मिकता, आयुर्वेद, योग के प्रति आस्थावान है। आखिर ऐसा क्यो हैं कि हमारा देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के थोपे प्रोटोकॉल को मानने के लिए बाध्य है। भारत ने सारी दुनिया को सांस लेना, प्रकृति से जुडना सिखाया है।

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