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विधानसभा में गरजे योगी कहा एक ही हैं ‘राम-परशुराम’

अमरेन्द्र प्रताप सिंह

तिलक-तराजू के नाम पर जहर घोलने वाले अब राम-राम, परशुराम जप रहे : योगी

लखनऊ, 22 अगस्त, दस्तक टाइम्स :  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा के मानसून सत्र में शनिवार को विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। राज्य में जातिवादी राजनीति कर रहे लोगों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि राम और परशुराम में कोई भेद नहीं है। दोनों ही विष्णु के अवतार हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की बुद्धि और सोच में अंतर है, इसलिए उन्हें भगवान में भी भेद दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि रोम की भाषा बोलने वाले अब राम-राम बोल रहे हैं। सीएम ने आगे कहा कि राम का नाम किसी भी नाम से लें उद्धार होगा फिर वो चाहें परशुराम नाम पर ही क्यों न हो, परशुराम के नाम में भी राम का नाम आता है।

सब प्रकार हम तुमसन हारे, क्षमहु विप्र अपराध हमारे : योगी

अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने तुलसीकृत रामचरित मानस का उद्धरण देते हुए कहा कि धनुष भंग प्रसंग में राम और परशुराम के सम्बन्धों को स्पष्ट किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रसंग में राम कहते हैं ”राम मात्र है लघु नाम हमारा, परशुसहित बड़ नाम तुम्हारा, सब प्रकार हम तुमसन हारे, क्षमहु विप्र अपराध हमारे।” इसके बाद विष्णु के पूर्णावतार श्रीराम को पहचानकर परशुराम श्रीराम की वंदना की।

राम-परशुराम में कोई भेद नहीं : सीएम

उन्होंने कहा कि आज लोग जाति की राजनीति कर जातिवाद का झंडा ऊंचा कर रहे हैं। इतना ही नहीं ‘कुछ लोग तिलक-तराजू के नाम पर जहर घोलते थे’ अब वही लोग राम-राम, परशुराम का जाप कर रहे हैं। ये नहीं जानते कि राम-परशुराम में कोई भेद नहीं, बस कुछ लोगों की बुद्धि में भेद है जो कि इनकी विभाजनकारी मंशा दिख रही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण शुरू हुआ यूपी के लिए ये एक गौरव का विषय है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह को ह्रदय से बधाई दी।

‘प्रभु राम की ताकत को विश्व ने समझा’

उन्होंने कहा कि 492 वर्षों से इसका इंतेजार था- हम सब बहुत सौभाग्यशाली है। ‘प्रभु राम की ताकत को विश्व ने समझा’ है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वसम्मत से आया और राममंदिर निर्माण होने को है इसीलिए ‘कुछ लोग अपने अंदर की कुंठा को दबा नहीं पाए’। उन्होंने कहा कि ‘कुछ लोग तिलक-तराजू के नाम पर जहर घोलते थे’ अब लोग राम-राम, परशुराम का जाप कर रहे  ये भूल रहे कि लोकतंत्र में मर्यादा और धैर्य बहुत महत्वपूर्ण है। दरअसल संकीर्ण सोच वाले राम-परशुराम में भेद करते जबकि दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार हैं। कुछ देर के लिए जनता की आंख में धूल झोंक सकते मगर विधाता से नहीं बच सकते हैं।

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