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योगी का बड़ा फैसला: बढाए पुलिसकर्मियों के अधिकार

लखनऊ: महामारी कोरोना के चलते यूपी के थानेदार और कोतवाल के अधिकार बढ़ा दिए गए है। अब इलाके के थानेदार व कोतवाल कोर्ट में सीधे डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट में ट्रायल शुरू कराएंगे। इससे पूर्व जिला आपदा समिति की शिकायत पर ही थाने में मामला दर्ज होता था लेकिन अब आपदा प्रबंधन अधिनियम में अब सीधे कोर्ट में केस दायर होगा।

उपरोक्त के संबंध में राजस्व विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। प्रदेश के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक, सभी मण्डलायुक्तों व जिलाधिकारियों, पुलिस कमिश्नर लखनऊ व गौतमबुद्ध नगर, सभी एसएसपी व एसपी को अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 60 क के अधीन प्रदत शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल ने संबंधित पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस आफिसर को आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के अध्याय 10 की धारा 51 से 59 के तहत किए जाने वाले अपराधों के संबंध में अपने अधिकारिता के न्यायालयों में परिवाद दायर करने के लिए प्राधिकृत अधिकारी के रूप में अधिकृत किए जाने की मंजूरी दी है। यह आदेश अधिसूचना जारी होने की तिथि से लागू माना जायेगा।

जानिये क्या है इन धाराओं में….

धारा 51 – बाधा डालना

अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी कर्मचारी को आपदा के दौरान उनके कर्तव्यों को पूरा करने से रोकता है, उनके काम में बाधा डालता है, सरकारों द्वारा दिए निर्देशों को मानने से इनकार करता है, तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है। इस धारा के तहत ऐसे व्यक्ति को एक साल की कैद और जुर्माना लगाकर दंडित किया जा सकता है। लेकिन अगर उस व्यक्ति के कारण किसी को क्षति पहुंचती है तो ये सजा दो साल तक कैद और जुर्माने में बदल सकती है।

धारा 52 – मिथक व झूठे दावे

अगर कोई व्यक्ति पीड़ितों या किसी निश्चित वर्ग के लिए दी जाने वाली राहत सामग्री, सहायता या अन्य फायदे लेने के लिए गलत दावे करता है (पीड़ित वर्ग में न होकर भी उसके लिए दी जाने वाली मदद पर हक जताना), तो उस पर ये धारा लगाई जा सकती है। इसके तहत दोषी साबित होने पर दो साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

धारा 53 – धन या सामग्री का दुरुपयोग

अगर कोई व्यक्ति पीड़ितों या किसी निश्चित वर्ग के लिए दी जाने वाली राहत सामग्री, सहायता या अन्य फायदे लेने के लिए गलत दावे करता है (पीड़ित वर्ग में न होकर भी उसके लिए दी जाने वाली मदद पर हक जताना), तो उस पर ये धारा लगाई जा सकती है। इसके तहत दोषी साबित होने पर दो साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

धारा 54 – गलत चेतावनी

अगर किसी आपदा की परिस्थति में कोई झूठी चेतावनी या खबर फैलाता है, जिससे लोगों के बीच घबराहट फैले, पैनिक हो, तो इस धारा के तहत उस पर कार्रवाई की जा सकती है। ऐसा करने की कोशिश करने वालों को भी दंडित किया जा सकता है। इसकी सजा एक साल तक जेल और जुर्माना है।

धारा 55 –

सरकारी विभागों द्वारा होने वाले अपराधों से संबंधित है।

धारा 56 – कर्तव्य पूरा न करना

अगर कोई सरकारी अधिकारी, कर्मचारी लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों व कर्तव्यों का पालन नहीं करता है, तो इस धारा के तहत दोषी करार दिया जा सकता है। इसके लिए कानूनी तौर पर उसे एक साल की जेल और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

धारा 57 – आदेश का उल्लंघन

आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 की धारा 65 के तहत प्रावधान है कि राष्ट्रीय, राज्य या जिला कार्यकारिणी समिति आपदा की स्थिति में जरूरत होने पर किसी वाहन, भवन या अन्य संसाधन की मांग जनताध्संस्थानों से कर सकता है।

अगर इस संबंध में जारी आदेश का कोई पालन नहीं करता है, तो उस पर आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 की धारा 57 के तहत दोषी करार दिया जा सकता है। इसके लिए उसे एक साल की कैद और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

धारा 58 व 59

आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 की ये धाराएं निजी कंपनियों (धारा 58), धारा 59 किसी अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी (धारा 55 व 56 के मामलों में व सरकारी विभागों के लिए) के संबंध में है।

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