नई दिल्ली। एलोवेरा को हम संस्कृत में घृतकुमारी के नाम से भी जानते हैं। आयुर्वेद में एलोवेरा जूस को शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद बताया गया हैं। एलोवेरा एक औषधीय पौधा है। सुबह खाली पेट एलोवेरा का जूस पीने से कई फायदे होते हैं। यह आपकी त्वचा और सेहत के लिए बहुत गुणकारी होता है और ये जोड़ों के दर्द में भी राहत देता है। एलोवेरा से मुहांसे, रूखी त्वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बों और आखों के काले घेरों को दूर किया जा सकता है।
एलोवेरा का गूदा औषधि बनाने के लिए प्रयुक्त होता है। साथ ही इससे कई तरह की बिमारियों के लिए दव भी बनाई जाती हैं यह दिखने में जेली जैसा , लसीला, चमकीला द्रव पदार्थ होता है। इस गूदे में हजारों गुण समाहित हैं। एलोवेरा कफ-पित्त को ठीक करता है। पाचन तंत्र पर अच्छा प्रभाव डालता है तथा भूख में वृद्धि करता है। एलोवेरा या ग्वारपाठा को विभिन्न नामो से जाना जाता है जैसे -धृतकुमारी, बहुपत्री, दीर्घपत्रिका, कुमारी, गृहकन्या, स्थूलदला, रसायनी आदि ।
एलोवेरा जूस बनाने की विधि – -एलोवेरा की पत्तियों को धोकर सबसे पहले उसके किनारे के काँटों को चाकू की सहायता से निकाल कर अलग कर दें | अब पत्तियों को छोटे-छोटे पीस में बांट लें अब पत्तियों के टुकडे लेकर उसके ऊपर का हरा वाला छिलका और पीला भाग निकाल कर अलग कर दें |
-एलोवेरा के केवल सफेद भाग को अलग करने के बाद उसे किसी मिक्सी में डाल कर अन्य फलों और सब्जियों की भांति इससे जूस बना लें |
-इसके अलावा डेढ़-दो फुट लम्बा और आधा फुट चौड़ा एक गहरा गड्ढा जमीन में खोदकर उस पर कैनवास का टुकड़ा रखकर एलोवेरा के ताजे पत्ते एक के ऊपर करके इस तरह से रखें कि पत्तों का चौड़ा भाग गड्ढे की तरफ रहे। एक बार में 50 से 100 तक पत्ते रखें। इसमें पत्तों से जूस धीरे-धीरे गड्ढे में इकट्ठा होता रहेगा।
-एक और तरीके से इसका जूस बनाया जा सकता हैं। एलोवेरा के पत्तों के छोटे-छोटे टुकड़े करके मिट्टी के एक घड़े में भर दें, जिसके तल में छोटे-छोटे छेद हों जिससे पत्तों से निकलने वाला गाढ़ा जूस निकल सके। इस घड़े को अब एक बर्तन में इस प्रकार रखें कि घड़े का तल उस पात्र से कुछ ऊँचा रहे। घड़े में भी एलोवेरा के टुकड़ों को हिलाते रहें। इस प्रकार धीरे-धीरे सारा जूस नीचे रखे बर्तन में आ जायेगा। इस प्रकार एलोवेरा का जूस प्राप्त करने के बाद इसे धूप में या धीमी आँच पर गरम करके कुमारीसार यानि एलुवा बना लिया जाता है।
यह एलुवा मोम की तरह अपारदर्शक होता है। इसे हेपाटिक ऐलोयज कहा जाता है। आजकल इसके जूस को तेज आँच पर शीघ्र सुखाकर एलुआ बनाया जाता हैं। अर्धपारदर्शक इस एलुवे को ग्लासी ऐलोयज कहा जाता है।
एलोवेरा जूस के फायदे- -एलोवेरा मोटापा कम करने में फायदा करता है। 10 ग्राम एलोवेरा के रस में मेथी के ताजे पत्तों को पीसकर उसे मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें या 20 ग्राम एलोवेरा के रस में 4 ग्राम गिलोय का चूर्ण मिलाकर 1 महिने तक सेवन करने से मोटापे से राहत मिलती है।
-आयुर्वेद में एलोवेरा को कड़वा, शीतल, विरेचक, धातु परिवर्तक, कृमिनाशक, कामोत्तेजक और विषनाशक बताया गया है। यह लीवर के रोग, बढ़ी हुई तिल्ली, जी मिचलाना, बुखार, खाँसी, आँखों के रोग, त्वचा रोग, पेट के रोग, पीलिया, आदि रोगों में यह लाभ पहुँचाता है।
शरीर का कोई अंग जल या झुलस गया हो तो आप एलोवेरा का गूदा उस जगह पर लगाएं आपको जलन से राहत मिलेगी और घाव भी जल्दी ठीक होगा
-एलोवेरा जूस के सेवन से पेट संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर में छिपे रोगों के कीटाणु भाग जाते हैं। इससे पाचन क्रिया में सुधार होता है।
-एलोवेरा जूस के सेवन से रक्त सहित सातों धातुओं की शुद्धि होती है, जिससे पेट की गैस, कब्जियत, कम भूख लगना, लीवर की समस्या, हल्का बुखार, एसिडिटी, कृमि रोग आदि रोग मिटने लगते हैं।
-एलोवेरा जिस तरह से अन्दुरुनी प्रयोग में उत्तम कार्य करता है, वैसे ही इसका बाहरी प्रयोग भी बहुत प्रभावी रहता है।
-एलोवेरा के गूदे का सेवन 15 दिन में ही असर दिखाता है लेकिन स्थायी और पूरे लाभ के लिये कम-से-कम 3 से 6 माह तक सेवन नियमित करना चाहिए।