फीचर्डराष्ट्रीय

अपनी पत्नी के आप हैं चौथे पति?

first-marriage-5एजेंसी/ अगर आपकी पहली शादी हुई है तो आपको बता दें कि आप चौथे पति हैं. हां ये सुनकर आपको जरूर हैरानी होगी और शायद आप अपनी पत्नी से भी कई सवाल करेंगे. पर आपकी पत्नी भी कहेगी कि वो आपकी पहली पत्नी है. अब आप सोच रहे होंगे कि जब हम दोनों की पहली शादी हुई है और मेरी पत्नी से मेरी पहली शादी हुई है 

हर स्त्री के चार पति होते हैं और आपका नंबर चौथा होता है. यह बात आप इसलिए नहीं जान पाते हैं क्योंकि शादी के समय आपका ध्यान तो रिश्तेदारों से मिलने पर रहता है…

अगर आप शादी के समय पंडित के मंत्रों को सही तरीके से जानेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि शादी के समय जब आप मंडप में बैठे होते हैं तो दूल्हे के तौर पर आपका नंबर चौथा होता है.

आप से पहले किसी भी दुल्हन का स्वामित्व तीन लोगों को सौंपा जाता है.

विवाह के समय जब पंडित आपको विवाह का मंत्र पढ़ा रहा होता है तब आप मंत्र का मतलब नहीं समझते हैं. असल में वैदिक परंपरा में नियम है कि स्त्री अपनी इच्छा से चार लोगों को पति बना सकती है. इस नियम को बनाए रखते हुए स्त्री को पतिव्रत की मर्यादा में रखने के लिए विवाह के समय ही स्त्री का संकेतिक विवाह तीन देवताओं से करा दिया जाता है.

इसमें सबसे पहले किसी भी दूल्हन (कन्या) का पहला अधिकार चन्द्रमा को सौंपा जाता है, इसके बाद विश्वावसु नाम के गंधर्व को और तीसरे नंबर पर अग्नि को और अंत में उसके पति को सौंपा जाता है. इसी ही वैदिक परंपरा के कारण ही द्रौपदी एक से अधिक पतियों के साथ रही थी.

किसी भी कन्या के चार पति हो सकते हैं इस व्यवस्था की शुरुआत उद्दालक ऋषि के पुत्र श्वेतकेतु ने की थी.

श्वेतकेतु ने एक दिन आपनी मां को किसी दूसरे पुरुष के साथ आलिंगन करते हुए देख लिया. इसके बाद उनके मन में सवाल आया कि वह अपने पिता के पुत्र नहीं हो सकते हैं? इसलिए उन्होंने स्त्रियों की स्वतंत्रता कम करने का काम किया.

इसके बाद उन्होंने किसी भी स्त्री के जीवन में पुरुषों की संख्या सीमित करने का फैसला किया और फिर सिर्फ चार पुरुषों के साथ स्त्री जा सकती थी. इस व्यवस्था के पीछे यह भी मंशा थी कि कबीले और समुदाय के हर पुरुष को स्त्री मिल सके.

 

Related Articles

Back to top button