सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) के आदेश को रद्द करते हुए आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद पर बहाल कर दिया है। केंद्र सरकार ने आलोक वर्मा-अस्थाना विवाद के बाद उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया था। इस फैसले से केंद्र सरकार को झटका लगा है।
सरकार द्वारा अंतरिम निदेशक के पद पर नागेश्वर राव की नियुक्ति को भी सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। देखा जाए तो यह कोई पहला मामला नहीं है जब केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हो। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की कई याचिकाएं खारिज की है और फैसलों को रद्द भी किया है। जानें कुछ अहम केस के बारे में
आधार की वैधता पर भी सुप्रीम कोर्ट ने दिया था झटका
आधार कार्ड मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई सेवाओं में आधार नंबर का प्रयोग करना अवैध करार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राशन, पैन कार्ड, आयकर रिटर्न, वृद्धावस्था पेंशन, दिव्यांग पेंशन, नेत्रहीन पेंशन के लिए आधार कार्ड की आवश्यकता होगी।
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि इससे लोगों के आम जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आधार कार्ड स्कूल में दाखिले, सीबीएसई परीक्षा, बैंक खाता, मोबाइल सिम खरीदने, जेईई, कैट और नेट जैसी परीक्षाओं के लिए जरूरी नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार कोई भी बैंक अपने ग्राहकों को आधार नंबर अकाउंट से लिंक कराने के बारे में प्रेशर नहीं डाल सकता। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की कानूनी संवैधानिकता को वैध करार देते हुए बहुत सारी सेवाओं के लिए इसका प्रयोग बरकरार रखा है।
एससी-एसटी एक्ट पर पुनर्विचार याचिका हुई थी खारिज
एससी/एसटी एक्ट में बदलावों के खिलाफ देशभर में उपजे जनाक्रोश के बाद अप्रैल, 2017 में केद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका डाली थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को कायम रखते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने को कहा था, जिसके बाद दलित संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। दो अप्रैल 2017 को भारत बंद और हंगामे की घटनाओं के बीच केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका डाली थी।
इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के तहत जो व्यक्ति शिकायत कर रहा है, उसे तुरंत मुआवजा मिलना चाहिए।
मणिपुर में अफस्पा मामले में केंद्र सरकार को लगा था बड़ा झटका
अप्रैल 2017 में मणिपुर में अफस्पा मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की क्यूरेटिव पेटिशन को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले में बदलाव करने से इंकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सेना या पुलिस अत्याधिक बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती। केंद्र सरकार मणिपुर में सेना द्वारा एंकाउटर किये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जुलाई 2016 के फैसले के खिलाफ पेटिशन दाखिल करते हुए केंद्र सरकार ने कहा था कि इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो मिलिटेंट के खिलाफ सेना के आपरेशन में असर पडेगा। केंद्र सरकार ने कहा था कि यह आदेश अफस्पा के प्रावधानों को भी प्रभावित कर रहा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेना या पुलिस ऐसे मामलों में एक्सेस पावर का इस्तेमाल नहीं कर सकती और आत्मरक्षा के लिए न्यूनतम बल यानी फोर्स का इस्तेमाल किया जाए।