अभी-अभी: पाकिस्तान ने अमेरिका को दी चेतावनी: अफगान युद्ध में ‘बलि का बकरा’ बनाने की कोशिश न करें
इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने अफगान युद्ध में उसे ‘बलि का बकरा’ बनाए जाने के खिलाफ गुरुवार (24 अगस्त) को अमेरिका को आगाह किया. साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी को खारिज कर दिया कि यह आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कर रहा. राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की पांच घंटे चली लंबी बैठक के बाद प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा कि पाकिस्तान पर अमेरिका का रुख एक ‘गंभीर विषय है. शीर्ष नागरिक एवं सैन्य नेतृत्व ने पाकिस्तान को बलि का बकरा बनाने के खिलाफ अमेरिका को आगाह किया है और कहा कि इससे अफगानिस्तान में स्थिरता कायम रखने में मदद नहीं मिलेगी.
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समिति ने कहा कि अफगानिस्तान के अंदर जटिल मुद्दे और आतंरिक परिस्थितियां न सिर्फ पाकिस्तान को बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक गंभीर चुनौती पेश कर सकता है. प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने सैन्य एवं राजनीतिक नेतृत्व की शीर्ष-स्तरीय बैठक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस आरोप पर ‘‘संयुक्त जवाब’’ तैयार करने के लिए बुलाई थी कि पाकिस्तान आतंकवादियों के लिये सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है. आंतरिक मामलों के मंत्री अहसन इकबाल, विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ, जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी के अध्यक्ष जुबैर हयात, थलसेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा, वायुसेना अध्यक्ष एसीएम सोहैल अमन और नौसेना प्रमुख एडमिरल मुहम्मद जकाउल्ला सहित कई अन्य शीर्ष अधिकारियों ने ‘पीएम हाउस’ में हुई बैठक में हिस्सा लिया.
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया के बाबत राष्ट्रपति ट्रंप के नए रुख पर ‘‘संयुक्त जवाब’’ तैयार करने को लेकर यह राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक हुई. अपने नए रुख के मुताबिक ट्रंप ने आतंकवाद में संलिप्तता पर पाकिस्तान को निशाना बनाया है. सोमवार (21 अगस्त) को अपने भाषण में ट्रंप ने कहा था, ‘‘हम पाकिस्तान को अरबों डॉलर का भुगतान करते आए हैं और वे उन्हीं आतंकवादियों को पनाह दे रहे हैं जिनसे हम लड़ रहे हैं.’’ कमांडर-इन-चीफ के तौर पर अपने पहले औपचारिक संबोधन में अफगानिस्तान में 16 साल लंबे युद्ध पर अपनी नीति प्रस्तुत करते हुए ट्रंप ने कहा था कि पाकिस्तान को ‘‘अराजकता के एजेंटों को सुरक्षित ठिकाने की पेशकश’’ बंद करना चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री अब्बासी ने अमेरिका के रुख में आए बदलाव पर अब तक जवाब नहीं दिया है.
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अमेरिकी राजदूत डेविड हेल ने बुधवार (23 अगस्त) को थलसेना प्रमुख जनरल बाजवा से मुलाकात कर अमेरिका की नई दक्षिण एशिया नीति से उन्हें अवगत कराया था. जनरल बाजवा ने कहा था, ‘‘हम अमेरिका से किसी सामग्री या वित्तीय सहायता की नहीं बल्कि भरोसे, समझ और हमारे योगदानों को स्वीकार करने की मांग कर रहे हैं.’’ ट्रंप के भाषण के एक दिन बाद मंगलवार (22 अगस्त) को राजदूत हेल ने ख्वाजा आसिफ से भी मुलाकात की थी और उन्हें अफगानिस्तान एवं दक्षिण एशिया पर अमेरिका की नई नीति से अवगत कराया था.
आतंकियों को शरणस्थली उपलब्ध करवाने के लिए पाकिस्तान को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दिए जाने के एक दिन बाद अमेरिका के दो प्रमुख नेताओं ने कहा है कि यदि पाकिस्तान आतंकी समूहों को शरणस्थली उपलब्ध करवाना जारी रखता है, तो उसे बड़े गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा खो देने जैसे कई परिणाम भुगतने पड़ेंगे. ट्रंप ने आतंकी समूहों को पाकिस्तान की ओर से मिलने वाले सहयोग के खिलाफ सख्ती से बोलते हुए कहा था कि इस देश को अमेरिका से अरबों डॉलर मदद के तौर पर मिलते हैं लेकिन यह आतंकियों को शरण देना जारी रखता है.
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ट्रंप ने इस्लामाबाद को चेतावनी दी कि अफगानिस्तान में अमेरिकियों को मारने वालों और ‘अराजकता पैदा करने वालों’ को शरणस्थली उपलब्ध करवाने पर, आतंकियों को मदद देने पर इस्लामाबाद का ‘बहुत कुछ दांव पर’ है. रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने कह कि ट्रंप प्रशासन इस बार इस संदर्भ में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई जरूर करेगा. मैटिस दरअसल इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि पूर्व में भी ऐसे वादे किए जा चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाने में अमेरिका पीछे ही हटता रहा है.
रक्षा मंत्री से पूछा गया था, ‘ट्रंप के शब्द बेहद कड़े हैं लेकिन ऐसे शब्द पहले भी सुने जा चुके हैं. असल में इस संदर्भ में कुछ किया जाएगा या पुरानी ही रणनीति पर ही चला जाएगा?’ पश्चिम एशिया की यात्रा पर गए मैटिस ने अपने साथ गए संवाददाताओं से कहा, ‘मैं सवाल समझता हूं. आपको इसका जवाब जानने के लिए इंतजार करना होगा और देखना होगा.’ मैटिस ने चीफ्स ऑफ स्टाफ को निर्देश दिए हैं कि वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़ी ट्रंप की रणनीति को क्रियान्वित करने के लिए तैयारी करें.