भारत के दौरे पर पहुंचे अमेरिकी एनएसए आज भारतीय एनएसए अजित डोभाल से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वह पीएम और विदेश मंत्री से भी मिल सकते हैं।
नई दिल्ली। कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर पाकिस्तान से रिश्तों में आई कड़वाहट के बीच अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एचआर मैकमास्टर आज अपने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मुलाकात कर सकते हैं। मैकमास्टर और डोभाल के बीच होने वाली यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। इसकी वजह यह भी है कि अमेरिकी एनएसए का दौरा उस वक्त हुआ है जब पाकिस्तान के साथ भारत की तनातनी काफी बढ़ चुकी है। कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद उसने अपनी सेना के तैयार रहने की भी धमकी भारत को दी है।
पाकिस्तान भी गए थे मैकमास्टर
भारत आने से पहले मैकमास्टर पाकिस्तान भी गए थे। उन्होंने वहां पाकिस्तान सरकार से भारत के खिलाफ छद्म रवैया न अपनाने और कूटनीति का सहारा लेने की सलाह भी दी थी। पाकिस्तान पहुंचे मैकमास्टर ने वहां प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनके विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) नासेर खान जंजुआ और विदेश विभाग के अधिकारी सैयद तारीक फातमी के साथ मुलाकात की थी।
अमेरिका कर चुका है जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता की बात
मैकमास्टर के साथ पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत डेविड हैले, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अमेरिकी प्रतिनिधि लॉरेल मिलर, अमेरिकी प्रशासन में दक्षिण एशिया मामलों की वरिष्ठ निदेशक लीजा कर्टिस और पाकिस्तान मामलों के निदेशक जे वाइज भी पहुंचे हैं। गौरतलब है कि अमेरिका कुछ दिन पहले ही कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने करने की बात कही थी, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था। वहीं जाधव के मामले में भारत अमेरिका के जरिए पाकिस्तान पर राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव बनाना चाहता है।
भारतीय कूटनीतिक सफल
मैकमास्टर और उनके साथ आ रहे प्रतिनिधिमंडल में शामिल अमेरिकी प्रशासन में दक्षिण एशिया मामलों की वरिष्ठ निदेशक लीजा कर्टिस को साथ लेने में भारतीय कूटनीतिक सफल रही है। कर्टिस को जनरल मैकमास्टर की व्यक्तिगत पसंद माना जाना है, जो इस बात की प्रबल समर्थक हैं कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में अमेरिका को पाकिस्तान को अपने सहयोगी के तौर पर देखना बंद करना चाहिए और आतंकवादी समूहों के खिलाफ भविष्य में दी जाने वाली किसी भी सैन्य मदद पर शर्त लगानी चाहिए।