अमेरिकी दबाव पर ईरान ने दी बड़ी चेतावनी, कहा- खतरे में पड़ सकती क्षेत्रीय तेल आपूर्ति
ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका ने अपने सहयोगियों को ईरान से तेल खरीदने से रोका तो क्षेत्रीय तेल आपूर्ति खतरे में पड़ सकती है। रुहानी ने यह बात सोमवार को स्विट्जरलैंड के दौरे पर ईरानी विशेषज्ञों के साथ बातचीत में कही।
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने ईरान को अपने तेल का निर्यात नहीं करने की चेतावनी दी है। रुहानी ने हालांकि विस्तार से तो नहीं बताया लेकिन अतीत में जब भी दबाव डाला गया है, ईरान ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्ट्रेट ऑफ हॉरमुज के बंद करने की धमकी देता रहा है। इस मार्ग के जरिये दुनिया की एक तिहाई तेल की आपूर्ति होती है।
प्रतिदिन दो मिलियन डॉलर बैरल के साथ ईरान कच्चे तेल का निर्यात करने वाला ओपेक का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। ईरान के साथ परमाणु समझौते से हटने के बाद से ही अमेरिका अपने सहयोगियों पर ईरान के साथ तेल आयात में कटौती करने के लिए दबाव डाल रहा है।
अमेरिका का कहना है कि वह ईरान से तेल आयात में कटौती करने वाले देशों के साथ मिलकर काम करने की तैयारी कर रहा है। साथ ही ईरान पर काफी हद तक दबाव कम करने के कारण वह भारत और तुर्की जैसे देशों छूट प्रदान नहीं करेगा।
मालूम हो कि ईरान, इराक और सऊदी अरब के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है। ईरान ने अप्रैल 2017 और जनवरी 2018 (2017-18 वित्त वर्ष के पहले 10 महीने) के दौरान 18.4 मिलियन टन कच्चा तेल निर्यात किया था। अमेरिका चीन और भारत समेत सभी देशों पर ईरान से तेल खरीद पूरी तरह से रोकने का दबाव बना रहा है।
ईरान का कहना है कि वह परमाणु समझौते पर वैश्विक शक्तियों से बातचीत करने को तैयार है। ईरानी मीडिया के अनुसार ईरान के विदेश मंत्री और दुनिया की पांच शक्तियां शुक्रवार को विएना में 2015 के परमाणु समझौते पर चर्चा करेंगी।
ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी आईआरएनए ने खबर दी है कि ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी और रूस के शीर्ष राजनयिक ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ से ऑस्ट्रिया की राजधानी में मुलाकात करेंगे। अमेरिका की तरफ से परमाणु समझौते से हटने के बाद इन सभी देशों की यह पहली बैठक होगी। बैठक के दौरान मंत्रियों के बीच ईरान के इस समझौते में बने रहने के लिए यूरोपीय यूनियन की तरफ से दिए जाने वाले ‘इंसेंटिव पैकेज’ पर चर्चा होगी।