वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार 2019 के आम चुनावों के मद्देनजर केंद्र और राज्य दोनों सरकारें ग्रामीण असंतोष को दबाने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा सकती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक सरकार की तरफ से दो लाख रुपये तक के 34000 करोड़ रुपये की ऋण माफी के बाद 2019 के आम चुनाव तक कृषि ऋण माफी के दोगुना होकर 40 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कृषि ऋण माफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि इस निराशा के समय में ग्रामीण मांग बढ़ोतरी में सहयोग करेगा। हालांकि बारिश एक उतार-चढ़ाव वाला कारण बना रहेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘यदि कृषि ऋण माफी सकल घरेलू उत्पाद के 1.5 फीसदी तक पहुंच गई तो यह प्रभावी रूप से कृषि आय में करीब तीन फीसदी तक बढ़ोतरी कर देगी।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का सरकार का लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा। हालांकि सरकार को महंगाई और राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के मोर्चे पर राहत मिल सकती है।