आईपीसी की धारा 497 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भड़की स्वाति मालीवाल
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 497 को सर्वसम्मति से निरस्त कर के एक तरह से तलाक जैसे मुद्दों को और अवैध संबंधों को बढ़ावा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने असहमति जताई है। उन्होंने इसे महिला विरोधी बताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि इस तरीके से आपने देश के लोगों को शादीशुदा होते हुए भी दूसरों के साथ अनुचित संबंध बनाने का खुला लाइसेंस दे दिया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद शादी की पवित्रता का औचित्य ही क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 497 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एडल्टरी यानी विवाहेतर संबंध कानून की नजर में अब अपराध नहीं माना जाएगा। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने बहुमत के आधार पर फैसला सुनाया था। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने आईपीसी की धारा 497 की भी निंदा की है। उन्होंने कहा कि एडल्टरी करने पर यह धारा महिला और पुरुषों दोनो के लिए समान होनी चाहिए थी और दोनों को समान दण्ड देने की व्यवस्था होती। मालीवाल ने कहा कि मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देश की महिलाओं की पीड़ा और बढ़ गई है। मैं सुप्रीम कोर्ट के एडल्टरी पर इस फैसले से असहमत हूं। लगभग 158 साल पुराना आईपीसी की धारा 497 यानी एडल्टरी का कानून मुख्य रूप से महिलाओं के लिए था। जिसके तहत सजा का प्रावधान भी था। इसमें अगर कोई शादीशुदा महिला अपने पति से इतर किसी व्यक्ति से अपनी मर्जी से संबंध बनाती है तो पुरुष महिला के खिलाफ 497 के तहत मुकदमा दर्ज करा सकता था। लेकिन पुरुष अगर किसी महिला के साथ संबंध बनाता है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया ज सकता था। यहां तक पुरुष की पत्नी की भी अपने पति या फिर उस महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करा सकती थी। इसे व्यभिचार की श्रेणी में रखा गया था।
इन देशों में व्यभिचार पर है कड़ी सजा
– अधिकतर इस्लामिक देशों में व्यभिचार एक अपराध है और इसकी कड़ी सजा है।
– दुनिया भर के ज्यादातर देशों में व्यभिचार को लेकर बने कानून विवाहित महिलाओं के ही खिलाफ हैं।
– हालांकि विवाहित पुरुषों के लिए कम सजा या फिर एक तरह से छूट का प्रावधान है।
– अमेरिका के भी 20 राज्यों में व्यभिचार एक अपराध है। हालांकि वहां इसे लेकर मामले कम ही दिखते हैं।
– सऊदी अरब में व्यभिचार पर मौत की सजा का प्रावधान है। हालांकि इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम बहुल देश में इस पर बेहद कम मामले दर्ज होते हैं।
इन देशों में व्यभिचार कोई अपराध नहीं
– ब्रिटिश राज में भले ही भारत में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में डाला गया, लेकिन खुद इंग्लैंड ने 1857 में इसे अपराध की श्रेणी से परे कर दिया था।
– साउथ अफ्रीका में 1914 में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था।
– जापान ने 1947 में यह फैसला लिया।
– फ्रांस ने 1975 में महिला अधिकारों को ध्यान में रखते हुए ऐसा फैसला लिया था।
– ऑस्ट्रिया ने 1997 में इस कानून को खत्म कर दिया था।
– ब्राजील ने 2005 और रोमानिया ने 2006 में इस ऐक्ट को खत्म किया था।
– इसके बाद मेक्सिको ने 2011 और साउथ कोरिया ने 2015 में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया।