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आर्थिक मोर्चे पर सरकार के लिए खतरे की घंटी है चुनाव परिणाम
पांच राज्यों के चुनाव परिणामों में भारतीय जनता पार्टी को मिली शिकस्त आर्थिक मोर्चे पर सरकार के लिए खतरे की घंटी है। केंद्र सरकार को अब इस मोर्चे पर कुछ ऐसे फैसले लेने होंगे, जिनसे आम जनता को फायदा हो। हालांकि लोकसभा चुनाव में अब पांच महीने का वक्त शेष रह गया है, ऐसे में देखना होगा कि सरकार किस तरह के फैसले लेती है, जिससे लोगों को जिंदगी में कुछ बदलाव आ सके।
पॉलिसी में करने होंगे बदलाव
केयर रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस के अनुसार सरकार को अब अपनी इकोनॉमिक पॉलिसी में बड़े बदलाव करने होंगे। इसमें किसानों का कर्ज माफ करना, खेती पर फोकस करना और समाज से जुड़े मुद्दों पर फोकस करना होगा। आगे के महीनों में हम देख सकते हैं कि सरकार एक बार फिर से कई ऐसे मुद्दों पर फैसला लें, जो जनता से सीधे जुड़े हैं।
गांवों की ओर अब ध्यान देगी सरकार
आनंद राठी फाइनेंस सर्विस के चीफ इकोनॉमिस्ट सुजन हजरा ने कहा कि अब सरकार एक बार से गांवों की ओर ध्यान देगी। इसमें किसानों को फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करना और अन्य ग्रामीण भारत के लिए बनी हुई योजनाओं पर फोकस करने का होगा।
इस वक्त देश का चालू खाता घाटा 4 फीसदी के पार चला गया है। वहीं अप्रत्यक्ष कर से होने वाली आय और विनिवेश काफी कम हो गई है, जिस पर सरकार को थोड़ा सोचना होगा। एचडीएफसी बैंक चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरूआ ने कहा कि सरकार फिलहाल किसी तरह की कोई नई योजना की घोषणा नहीं करेगी, बल्कि पुरानी योजनाओं को सीधे आम आदमी तक पहुंचाने के लिए कदम उठाएगी।
अंतरिम बजट में दिखेगा बदलाव
सरकार 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेगी। इस दौरान हो सकता है वित्त मंत्री अरुण जेटली अपना फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर, घर, रेलवे और सड़कों पर कर लें। इसके साथ ही सब्सिडी में बढ़ावा और टैक्स की दरों में और कमी की जा सकती है, जिससे आम लोगों को राहत मिल सके।