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इंडियन आर्मी के सूबेदार नीरज चोपड़ा ने भारत को दिलाया पहला ओलिंपिक स्वर्ण पदक

टोकियो: एथलेटिक्स में भारत का पहला ओलिंपिक स्वर्ण पदक नीरज चोपड़ा ने दिलाया। 87.58 मीटर के स्कोर के साथ भाला फेंक में गोल्ड जीतते ही उन्होंने इतिहास भी रच दिया। अभिनव बिंद्रा के बाद ओलिंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले वह केवल दूसरे भारतीय बन गए हैं। चोपड़ा भारतीय सेना में 4 राजपूताना राइफल्स में सूबेदार हैं। 2016 में उन्हें नायब सूबेदार के पद पर जूनियर कमिशंड ऑफिसर के रूप में चुना गया था। अमूमन इंडियन आर्मी किसी खिलाड़ी को जवान या नॉन कमीशंड ऑफिसर के पद पर भर्ती करती है, लेकिन नीरज की काबिलियत के मद्दनेजर उन्हें सीधे नायब सूबेदार के पद पर नियुक्त किया गया था।

देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नीरज को ऐतिहासिक विजय पर शुभकामनाएं दी। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘ओलिंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक अभूतपूर्व है। इतिहास बनाने के लिए उन पर गर्व है। सूबेदार नीरज चोपड़ा की स्वर्णिम जीत ने भारतीय सेना के लिए सम्मान लाया है। ओलिंपिक में एक सच्चे सैनिक की तरह प्रदर्शन किया। भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने और बल के सभी रैंकों ने भी चोपड़ा को उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी।

भारत को ओलिंपिक मेडल दिलाने में सेना ने अहम किरदार निभाया है। नीरज चोपड़ा से पहले एथेंस ओलिंपिक के सिल्वर मेडलिस्ट शूटर राज्यवर्धन सिंह राठौर, 2012 लंदन ओलिंपिक के कांस्य शूटर विजय कुमार का तालुल्क भी इंडियन आर्मी से है। इतना ही नहीं महान धावक मिल्खा सिंह भी सेना में भर्ती होने के बाद ही अपनी प्रतिभा को निखारा था। वैसे हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद भी सेना से थे, लेकिन टीम इवेंट में मेडलिस्ट थे।

1999 में पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल की लड़ाई में भी हिस्सा ले चुके राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने बाद में शूटिंग में हाथ आजमाया। कर्नल राठौड़ ने ओलिंपिक में सिल्वर जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट थे। पिस्टल शूटिंग में देश को पहला मेडल दिलाने वाले विजय कुमार ने खेल की बारीकियां महू की आर्मी मार्क्समैनशिप यूनिट यानी एएमयू में सीखी थीं। डोगरा रेजिमेंट में सूबेदार मेजर के पद से रिटायर होने वाले विजय कुमार को बाद में ऑरनरी कैप्टन रैंक दिया गया था।

चोपड़ा तीन दिन पहले क्वालीफिकेशन में शीर्ष पर रहे थे। फाइनल में उन्होंने इससे भी बेहतर प्रदर्शन किया। 87.58 मीटर की दूरी के सर्वश्रेष्ठ प्रयास से पहला स्थान हासिल किया। 23 साल के चोपड़ा ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा, ‘विश्वास नहीं हो रहा। पहली बार है जब भारत ने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीता है। इसलिए मैं बहुत खुश हूं। हमारे पास अन्य खेलों में ओलिंपिक का एक ही स्वर्ण है।’

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