इस चीज के बिना कभी नहीं हो सकती आपकी सुबह, जानें क्या है यह
कांच एक ठोस पदार्थ है, जिसे आमतौर पर घर में, ऑफिस में, वाहनों में इस्तेमाल किया जाता है। हमारे जीवन में कांच की अहम भूमिका है या साफतौर पर कहें तो कांच हमारे जीवन के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। कांच एक पारदर्शी पदार्थ होता है, जो कि अकार्बनिक पदार्थों से बनाया जाता है। आइए जानते हैं कैसे हुआ था इसका आविष्कार…
कांच का आविष्कार संसार के लिए बहुत बड़ी घटना थी। इतिहासकारों के अनुसार, पहली बार कांच के बारे में तब पता चला, जब कुछ व्यापारियों ने सीरिया में फीनीशिया के समुद्र तट पर भोजन के बनाने के लिए बर्तनों को आग के ऊपर रखा। जैसे ही आग प्रकट हुई तो उन्हें द्रवित कांच की धारा नजर आई। बालू और शोरे के मिलने से कांच बना था। कुछ इतिहासकारों का ये भी कहना है कि 12 हजार ईपू इराक के मेसोपोटामिया में बर्तनों पर कांच के जैसी चमक बनाने का आविष्कार किया गया था। इसी के साथ मिस्र में कांच के सांचे में बने हुए ताबीज पाए गए, जो कि लगभग 7 हजार ईपू के माने जाते हैं।
शुरू में कांच का उपयोग सजावट के लिए किया गया और फिर लगभग ईपू से 1500 साल पहले कांच के बरतन बनाए जाने लगे। पहली शताब्दी में सीरिया और फलस्तीन में कांच को अपने तरीके से डिजाइन किया गया। 11वीं शताब्दी आते-आते इटली के वेनिस शहर में कांच की चीज बनने लगी थी, इस शहर को कांच का केंद्र भी कहा जाता था। जब वेनिस में शीशा बनाया गया था तो शुरुआत में ये लोगों के लिए बहुत ज्यादा महंगा हुआ करता था। शुरुआत में दर्पण लग्जरी हुआ करते थे और, इन्हें सिर्फ अमीर लोग ही खरीद पाते थे। वर्तमान में कांच से संबंधित सारे कार्य मशीनें करती हैं।
जब शीशे का आविष्कार नहीं हुआ था तो लोग अपनी छवि या चेहरा देखने के लिए पानी के पास खड़े होते और अपना चेहरा देखते थे। पहले कांच का आविष्कार हुआ फिर उसे चेहरा देखने लायक बनाया गया। लगभग 3 हजार ई पू में मिस्र के लोगों ने पॉलिश तांबे से अपने शीशे तैयार किए। लगभग 2 हजार ईसा पूर्व से भारत में तांबे, कांस्य और मिश्र धातु से शीशे तैयार किए गए, लेकिन इस तरह से शीशा बनाना मुश्किल कार्य था। किसी भी पत्थर या धातु को पॉलिश करके शीशा बनाना मुश्किल था।
सदियों से खिड़कियां और गिलास आदि बनाने के लिए सबसे सामान्य कांच का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे सोडा-लाइम कांच कहते हैं। सोडा-लाइम कांच को लगभग 75 प्रतिशत सिलिका, चूना, सोडियम आक्साइड और अन्य चीजें मिलाकर तैयार किया जाता है। कांच रेत का दूसरा रूप है, रेत और अन्य चीजों को मिलाकर एक भट्टी में लगभग 1500 डिग्री सेल्सियस पर पिघलाया जाता है और फिर इस पिघले कांच को उन खांचों में डालकर जैसी मर्जी चीज बनाई जा सकती है। जैसे कि एक बोतल बनाने के लिए खांचे में पिघला कांच डाला जाता है और फिर बोतल की सतह बनाने के लिए उसे फिर एक भट्टी से गुजरना होता है।
वर्तमान में जब हम तैयार होते हैं तो सबसे पहले हमें खुद को देखने के लिए शीशे की जरूरत होती है। शीशे के सामने खड़े होकर हम खुद को देखते हैं कि हम कैसे लग रहे हैं। हमारे दिन की शुरुआत ही शीशे से होती है। समय देखने के लिए जिस घड़ी का इस्तेमाल होता है, उस पर भी शीशा लगा होता है। फिर हम कहीं जाने के लिए जिस वाहन का इस्तेमाल करते हैं, उस पर भी शीशा लगा होता है। गाड़ियों में आगे पीछे, दाएं-बाएं शीशा लगा होता है। अगर ऐसा नहीं होगा तो ड्राइवर को पीछे का कुछ भी नजर नहीं आएगा। ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि कांच हमारे लिए बहुत ज्यादा जरूरी है।