क्या है ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर?
अमरीकी हेल्थ वेबसाइट ‘हेल्थलाइन’ के मुताबिक, “ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर (OLD) एक तरह की ‘साइकोलॉजिकल कंडीशन’ है जिसमें लोग किसी एक शख़्स पर असामान्य रूप से मुग्ध हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि वो उससे प्यार करते हैं। उन्हें ऐसा लगने लगता है कि उस शख़्स पर सिर्फ उनका हक है और उसे भी बदले में उनसे प्यार करना चाहिए। अगर दूसरा शख़्स उनसे प्यार नहीं करता तो वो इसे स्वीकार नहीं कर पाते। वो दूसरे शख़्स और उसकी भावनाओं पर पूरी तरह काबू पाना चाहते हैं।”
ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर के लक्षण
-किसी के प्रति जबरदस्त और असाधारण आकर्षण
-उस शख़्स के बारे में लगातार आने वाले विचार, जिन पर ख़ुद का कोई नियंत्रण न हो
-दूसरे शख़्स और उसकी भावनाओं को काबू में करने की इच्छा
-उसके रिजेक्शन को स्वीकार न कर पाना
-दूसरों से भी उसकी ही बातें करना, उसका जिक्र करने का कोई बहाना ढूंढना
-उसकी वजह से बाकी रिश्तों को भूल जाना
-उसे बार-बार मेसेज या कॉल करना, उसका पीछा करना, सोशल मीडिया पर उसे स्टॉक करना
– उसे ब्लैकमेल करना, किसी भी तरह अपना प्रस्ताव मनवाने की कोशिश करना
विमहंस (VIMHANS) में क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट डॉ.नीतू राणा कहती हैं कि आम तौर पर ऊपर बताई गई भावनाएं लोगों में उस वक्त भी देखने को मिलती हैं जब वो प्यार में होते हैं लेकिन जब ये भावनाएं असामान्य रूप से बढ़ जाएं तो मुमकिन है कि शख्स ‘ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर’ से गुजर रहा हो।
क्यों होता है ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर?
पेशे से साइकोथेरेपिस्ट डॉ. शिखा के अनुसार इसकी कई वजहें हो सकती हैं।वो बताती हैं कि ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर की कोई एक ही वजह हो, ऐसा जरूरी नहीं है। कई बार इसका सम्बन्ध ये दूसरी मानसिक तकलीफों से भी होता है।” मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ ऐसी समस्याएं जो ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर की वजह बन सकती हैं:
- अटैचमेंट डिसऑर्डर- इसकी वजह से लोगों में अपनी भावनाओं और किसी से जुड़ाव को काबू करने में परेशानी होती है। कई बार वो दूसरों से जरूरत से ज्यादा दूर हो जाते हैं और कई बार दूसरों पर जरूरत से ज़्यादा निर्भर। ऐसा बचपन या किशोरवास्था के बुरे पारिवारिक रिश्तों या कड़वे अनुभवों की वजह से भी हो सकता है।
- बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर- इसे ‘इमोशनली अनस्टेबल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर’ भी कहा जाता है। इसकी वजह से लोग अपनी भावनाओं को समझने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। उनमें रिश्तों को लेकर डर और असुरक्षा की भावना भी होता है। बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से जूझ रहे शख़्स को ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर होने की आशंका बढ़ जाती है।
- इरोटोमेनिया- इरोटोमेनिया से ग्रसित शख़्स को ऐसा भ्रम (डिल्यूज़न) होता है कि दूसरा शख़्स उससे प्यार करता है, जबकि असल में ऐसा नहीं होता।इरोटोमेनिया की वजह से भी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर होने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ. शिखा बताती हैं, “आत्मविश्वास की कमी और असुरक्षा की भावना भी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर की बड़ी वजहें हैं। ऐसा भी देखने में आया है कि जिन लोगों को बचपन और किशोरावस्था में परिवार या करीबियों का प्यार नहीं मिलता बाद में वो कभी न कभी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर से गुजरते हैं।” डॉ. नीतू राणा कहती हैं कि हम कई बार ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर को बेइंतहां प्यार और दीवानगी समझने की गलती कर बैठते हैं, जबकि ऐसा नहीं होता।उनके मुताबिक ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति न सिर्फ हम ख़ुद को नुकसान पहुंचाता है बल्कि दूसरे इंसान को भी मुश्किल में डाल रहा होता है।
डॉ. शिखा बताती हैं कि महिला और पुरुष दोनों ही ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर के शिकार हो सकते हैं। वो कहती हैं, “हमारा सामाजिक ढांचा ऐसा है कि यहां पुरुष अपनी भावनाएं ज़्यादा आसानी से जाहिर कर लेते हैं जबकि महिलाओं के लिए ये आसान नहीं होता। शायद यही वजह है कि पुरुषों का ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर अक्सर गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है। वो लड़कियों का पीछा करने, उन्हें धमकाने और ब्लैकमेल तक करने लग जाते हैं। दूसरी तरफ लड़कियां सोशल मीडिया पर स्टॉक करने और ख़ुद को नुकसान पहुंचाने जैसे कदम उठाती हैं।”
कैसे जानें कि मदद की जरूरत है?
डॉ. शिखा के मुताबिक जब भी आपको लगे कि कोई शख़्स आपको हद से ज़्यादा प्रभावित कर रहा है और इसकी वजह से आपको दिक्कत हो रही है तो किसी की मदद लेने में मत हिचकिए।डॉ. नीतू के अनुसार अगर आपके खाने-पीने, नींद और काम में किसी एक व्यक्ति की वजह से खलल पड़ रहा है, तो आपको मदद की जरूरत है। डॉ. नीतू और डॉ. शिखा दोनों ही शुरुआत में किसी दोस्त या करीबी से बात करने की सलाह देती हैं।
डॉ. नीतू कहती हैं, “ऐसे वक़्त में जरूरी है अपनी ऊर्जा और भावनाएं किसी दूसरे शख़्स के लिए खर्च की जाएं लेकिन अगर अपना ध्यान दूसरे लोगों या कामों में लगाने की तमाम कोशिशों के बाद भी आप उस शख़्स के ख्यालों से खुद को नहीं निकाल पा रहे हैं तो शायद आपको साइकॉलजिस्ट के मदद की जरूरत है।”
काउंसलिंग और थेरेपी के जरिए ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आम तौर पर काउंसलिंग या थेरेपी पांच-छह सेशन में इसका असर कम होने लगता है और धीरे-धीरे इंसान सामान्य हो जाता है।डॉ. नीतू कहती हैं, “प्यार के जुनून में कोई बुराई नहीं है लेकिन हमें ये ध्यान जरूर रखना चाहिए कि कहीं प्यार की वजह से हमारी और दूसरे शख़्स को कोई गंभीर नुकसान न हो रहा हो।”