एक्शन में अखिलेश

महज एक माह की यह घटनाएं बताती हैं कि सीएम एक्शन में हैं। हर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से जनता से रूबरू होते हैं, ठीक उसी तर्ज पर अखिलेश का एक्शन में होना जनता के हित में है।
दस्तक ब्यूरो
केस 1 : एक सितंबर : लखनऊ के इंजीनियरिंग चौराहे पर एक स्कूटी सवार छात्रा पर बाइक सवार तीन लड़कों ने छींटाकशी की। लड़की ने बाइक का नंबर मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल पर डालकर शिकायत की। मुख्यमंत्री तुरंत एक्शन में और लड़के अगले दिन पुलिस हिरासत में। हालांकि नाबालिग छात्रों को शिकायत करने वाली छात्र माफ कर देती है, लेकिन उसके चेहरे पर एक संतोष नजर आता है।
केस 2- 15 सितंबर : बरेली के एसपी सिटी ने हरिद्वार की जिला पंचायत अध्यक्ष अंजुम बेगम की लाल बत्ती लगी गाड़ी का पीछा कर उसमें से 1.6 करोड़ रुपये बरामद किए। अवैध रूप से ले जाई जा रही इस रकम की सूचना मुख्यमंत्री को किसी ने व्हाट्स एप पर दी, मुख्यमंत्री एक्शन में और एसपी सिटी ने खुद 70 किमी तक गाड़ी का पीछा किया। अंजुम बेगम के पति और देवर सहित छह अभियुक्तों को जेल भेज दिया।
केस 3– 19 सितंबर : जीपीओ के सामने फुटपाथ पर रोजी चला रहे एक बुजुर्ग का टाइप राइटर दारोगा लात मारकर तोड़ देता है। सोशल मीडिया के जरिए सीएम तक जानकारी पहुंचती है और सीएम तुरंत एक्शन लेते हैं। दारोगा का निलंबन होने के साथ ही देर रात डीएम और एसएसपी नया टाइप राइटर लेकर बुजुर्ग के दरवाजे पर खड़े होते हैं। एसएसपी बुजर्ग से हुई अभद्रता पर खेद व्यक्त करते हैं तो डीएम किसी भी समस्या पर फोन करने का आग्रह करते हैं।
केस 4 – 19 सितंबर : विधान भवन के तिलक हाल में जिलाधिकारी, मंडलायुक्त और पुलिस अफसरों की बैठक चल रही होती है। समस्याओं और प्राथमिकताओं पर चर्चा के बीच मुख्यमंत्री का बैठक में अचानक आगमन होता है। अफसर हैरान, लेकिन सीएम एक्शन में। तकरीबन 20 मिनट अफसरों की ‘क्लासस ली और कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने वाली घटनाओं का जिक्र करने के साथ ही बिजली संकट दूर करने का निर्देश दिया। दो टूक कहा, सरकार अच्छे काम कर रही है, लेकिन लॉ एंड आर्डर और बिजली संकट उस पर भारी पड़ता है।
महज एक माह की यह घटनाएं बताती हैं कि सीएम एक्शन में हैं। ट्विटर, व्हाट्स एप और फेसबुक पर सक्रिय अखिलेश को अगर हाईटेक समाजवाद की संज्ञा दें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। हर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से जनता से रूबरू होते हैं, ठीक उसी तर्ज पर अखिलेश का एक्शन में होना जनता के हित में तो है, पर विरोधी तो विरोधी ठहरे। कोई मोदी की नकल बता रहा है तो कोई सरकार की असफलता छिपाने का प्रयास। बहरहाल, सत्ता का आधा सफर तय कर चुके अखिलेश के लिए 2017 का संग्राम निकट आ रहा है और चुनौतियां कम नहीं होंगी । इससे अखिलेश भी वाकिफ हैं तो पार्टी भी। इसका दूसरा पहलू देखें तो सवाल उठता है कि क्या सीएम की सक्रियता पर ही जनता को न्याय मिलेगा? क्या अब कोई दारोगा किसी पटरी दुकानदार की रोजी नही तोड़ेगा? क्या थानों पर जनता को वर्दी की हमदर्दी मिलेगी? क्या लड़कियां सड़कों पर सुरक्षित चल सकेंगी? सीएम तो हाईटेक हैं और संवेदनशील भी पर सरकारी मशीनरी का क्या करें, जो बदलने को तैयार नहीं। हालांकि सार्वजनिक मंच से अखिलेश कह चुके हैं कि उन्हें मशीनरी के नट बोल्ट कसने आते हैं। खैर, सीएम साहब आप एक्शन में रहिए… हो सकता है अफसर कुछ सीख सकें, क्योंकि उम्मीद पर दुनिया कायम है।