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एनएसजी ने आतंक रोधी अभियानों के लिए 600 कमांडो को अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा से हटाया

Members of the National  Security Guard (NSG) Bomb Disposal Squad arrive at Parliament House in New Delhi, 16 December 2005, after a security alert. India's parliament was evacuated after intelligence agencies warned of a possible bomb attack on the heavily guarded complex by militants. The security alert came just over four years after Islamic militants staged a deadly raid on India's parliament that New Delhi blamed on Pakistan-backed rebels. Pakistan denied any involvement in the raid.  AFP PHOTO/RAVEENDRAN

दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली: आतंकवाद रोधी अभियानों की अपनी वास्तविक भूमिका की तरफ लौटते हुए एनएसजी ने अपने 600 से अधिक कमांडो को वीवीआईपी सुरक्षा इकाई से हटा लिया है और पहली बार उनका इस्तेमाल पठानकोट हमले के दौरान किया।

यह योजना पिछले दो साल से अधिक समय से चल रही है और पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हमले के दौरान इन ब्लैक कैट कमांडो का पहली बार इस्तेमाल किया गया।

कुल तीन टीमों में से दो टीमों को वीवीआईपी सुरक्षा ड्यूटी से हटाया
बल द्वारा नए ब्लू प्रिंट पर किए जा रहे काम के अनुसार 11वें स्पशेल रेंजर्स ग्रुप (एसआरजी) की कुल तीन टीमों में से दो टीमों को वीवीआईपी सुरक्षा ड्यूटी से हटा लिया गया है और उन्हें आतंकवादी रोधी अभियानों का दायित्व सौंपा गया है तथा स्पेशल एक्शन ग्रुप (एसएजी) जैसी प्राथमिक लड़ाकू यूनिटों की सहायता में लगाया गया है।

नेशनल सिक्यारिटी गार्ड (एनएसजी) की कमांडो टीमें पांच प्राथमिक इकाइयों के तहत गठित की गई हैं। इनमें दो एसएजी शामिल हैं जिनमें सेना से अधिकारी और जवान लिए गए हैं तथा तीन एसआरजी टीमें हैं जिनमें अर्द्धसैनिक बलों से कर्मी लिए गए हैं।

दो एसएजी (51 और 52) में से प्रत्येक को आतंकवाद रोधी, अपहरण रोधी और बंधक बचाव अभियानों का दायित्व सौंपा गया है। एसआरजी (11, 12 और 13) को इस तरह के अभियानों के दौरान एसएजी को इस तरह साजो सामान की मदद उपलब्ध कराने में इस्तेमाल किया गया तथा वर्षों तक उच्च जोखिम वाले वीवीआईपी की सुरक्षा में प्राथमिक रूप से तैनात किया गया है।

प्रत्येक एसआरजी में तीन टीमें हैं। प्रत्येक टीम में 300 से अधिक कमांडो हैं और एक पूरी यूनिट की अनुमानित संख्या 1,000 कर्मियों की है।

पठानकोट अभियान पहली बार था जब यूनिट को पूर्ण स्तर के आतंकवाद रोधी अभियान में लगाया
अधिकारियों ने कहा कि पठानकोट अभियान पहली बार था जब यूनिट को पूर्ण स्तर के आतंकवाद रोधी अभियान में लगाया गया और चुनिंदा कमांडो वायु सेना स्टेशन में घर-घर की तलाशी में लगाए गए। एनएसजी के कमांडरों ने कहा कि बल, जिसकी स्थापना 1984 में खास तौर पर आतंक रोधी अभियानों के लिए की गई थी, लेकिन बाद में इसे वीवीआईपी सुरक्षा ड्यूटी में लगा दिया गया।

एनएसजी के सुरक्षा कवर में इस समय सबसे कम 15 व्यक्ति हैं
एनएसजी के सुरक्षा कवर में इस समय सबसे कम 15 व्यक्ति हैं। इस संबंध में बल पर और बोझ ने बढ़ाने के आग्रह के बाद सरकार ने पिछले दो साल से अधिक समय से इस संबंध में कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी नहीं दी है।11वीं एसआरजी की एक टीम और दो यूनिटों (12 तथा 13) के पास अब भी उच्च जोखिम वाली हस्तियों की सुरक्षा का दायित्व है और बल को उम्मीद है कि समय के साथ धीरे-धीरे इन यूनिटों को भी वीवीआईपी सुरक्षा ड्यूटी से हटा लिया जाएगा।

 

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