एसवाइएल पर टकराव से निपटने को हरियाणा ने कसी कमर
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने सतलुज यमुना संपर्क नहर (एसवाइएल) पर सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले के मद्देनजर पैदा होने वाली स्थिति से निपटने के लिए कमर कस ली है। प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि फैसला हरियाणा के हक में आएगा। साथ ही आशंका है कि इस फैसले के बाद पंजाब के साथ टकराव के हालात पैदा हो सकते हैैं। लिहाजा तैयारी अभी से कर ली गई है।
कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा, जाट आरक्षण आंदोलन से लिया सबक
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने निवास पर राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाकर एसवाइएल नहर पर आने वाले फैसले के बाद की स्थितियों के बारे में चर्चा की। सीएम के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, गृह सचिव रामनिवास, पुलिस महानिदेशक डा. केपी सिंह, आइजी सीआइडी अनिल राव, हरियाणा के बिजली निगमों के चेयरमैन शत्रुजीत कपूर, सीनियर आइपीएस अधिकारी नवदीप सिंह विर्क और संदीप खिरवार इस बैठक में मौजूद रहे।
बैठक में राज्य की कानून व्यवस्था पर चर्चा हुई है, लेकिन माना जा रहा कि एसवाइएल पर न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा हुआ है, जो कभी भी आ सकता है। संविधान पीठ के दो सदस्य इसी सप्ताह रिटायर होने वाले हैैं। लिहाजा फैसले की संभावना इसी सप्ताह बनी हुई है।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष, न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय शामिल हैैं। यह मामला 2004 में राष्ट्रपति संदर्भ से जुड़ा है। पंजाब में चूंकि चुनाव है और एसवाईएल नहर पर फैसला आने के बाद हरियाणा के साथ टकराव बढ़ सकता है। लिहाजा सरकार किसी तरह की ढिलाई के मूड में नहीं है। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान पैदा हुई स्थिति से सरकार पहले ही जूझ चुकी है।
हरियाणा और पंजाब की दलीलों के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह अपने 2004 के स्टैंड पर कायम है। केंद्र ने कहा कि हम इस मामले में न कोई दस्तावेज दाखिल करेंगे और न ही स्टेटमेंट देंगे। लेकिन, मामले की सुनवाई के दौरान जो सवाल उठाए गए हैं, उनका जवाब जरूर देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।