दिल्ली: आयकर विभाग के नए आदेश के तहत देश में कई खाताधारकों के बचत खाते या कहें बैंक अकाउंट को ब्लॉक किया जा सकता है| आयकर विभाग का यह आदेश एफएटीसीए के प्रावधानों के तहत आया है| आयकर विभाग ने कहा है कि यदि आपके बैंक खाते 1 जुलाई 2014 से 31 अगस्त 2015 के बीच खुले हैं उन्हें अपने खातों को जल्द से जल्द स्व प्रमाणित करना है| आयकर विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसे सभी बैंक खाता धारकों को यह कार्यवाही 30 अप्रैल तक हर हाल में पूरी कर लेनी है| ऐसा नहीं करने वालों के खातों को ब्लॉक कर दिया जाएगा| इससे यह साफ है कि ऐसे बैंक खाता धारक अपने खातों से किसी प्रकार का वित्तीय लेन-देन नहीं कर पाएंगे| इस संबंद में सीबीडीटी ने भी एक बयान जारी कर ऐसे खाता धारकों को साफ आदेश दे दिया है|
जानकारी के लिए 10 अहम बातें :
- एफएटीसीए (FATCA) के तहत भारत और अमेरिका के बीच ऐसी संधि है जिसके बाद ऐसे खाता धारकों के वित्तीय लेन-देन की जानकारी एक दूसरे से साझा की जाती है|
- भारत और अमेरिका ने इस संबंध में 31 अगस्त 2015 को एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे. इसे विदेशी खाते कर क्रियान्वयन कानून का नाम दिया गया|
- खाता धारक और निवेशकों को यह जरूरी हो गया है कि वह टैक्स लेने वाले देश, उस देश से मिला टिन नंबर, जन्मस्थान, नागरिकता आदि की जानकारी देनी होगी|
- आयकर विभाग ने कहा है कि यदि अकाउंट को ब्लॉक कर दिया गया तब खाता धारक निर्धारित प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही अपने खाते से काम कर सकेगा|
- इससे पहले बैंकों को यह प्रक्रिया 31 अगस्त 2016 तक पूरे करने के निर्देश दिए गए थे| बाद में यह तारीख 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी गई थी| अब भी लोगों को उम्मीद थी कि एक बार फिर तारीख को बढ़ा दिया जाएगा| लेकिन अब आयकर विभाग ने साफ कर दिया है कि इस बार ऐसा नहीं होगा| ऐसे खाताधारकों को 30 अप्रैल तक यह काम पूरा करना ही होगा|
- आयकर विभाग ने इस संबंध में कई वित्तीय संस्थानों को हो रही दिक्कतों के चले पहले यह तारीख 30 अप्रैल 2017 तक बढ़ाने की छूट दे दी थी|
- आयकर विभाग के सख्त रुख को देखते हुए म्यूचुअल फंड और अन्य वित्तीय संस्थानों ने अपने ग्राहकों को साफ कर दिया है कि वह नए नियमों के तहत अपने अपने स्व प्रमाणित करने वाले काम पूरा कर लें|
- अब आयकर विभाग ने सभी वित्तीय संस्थानों को यह निर्देश दे दिया है कि वह सभी इस काम में तत्परता दिखाएं. ताकि जरूरी काम पूरा हो सके|
- जानकारी के लिए बता दें कि यह संधि और नियम इसीलिए बनाया गया था ताकि दूसरे देशों में अर्जित संपत्ति से की जाने वाली आय पर जरूरी कर लगाया जा सके|
- आयकर विभाग ने एफएटीसीए के तहत आने वाले सभी खाता धारकों के खातों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए बैंकों को पहले ही आदेश दे दिया है|