केंद्र सरकार जल्द ही सरकारी और निजी क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों कर्मचारियों को तोहफा दे सकती हैं। सरकार एक बिल लेकर के आई है, जिसके तहत अब देश में कार्यरत कोई भी कंपनी अपने कर्मचारियों से ओवरटाइम नहीं करा सकेगी। ऐसा करने वाली कंपनियों को अपने कर्मचारियों को दोगुना मेहनताना देना होगा।
मुफ्त नहीं होगा ओवरटाइम
अभी देश की ज्यादातर कंपनियां काम के लिए तय आठ या फिर नौ घंटे से ज्यादा कार्य कराती हैं। हफ्ते में यह समय तय सीमा 48 घंटे से ज्यादा हो जाती है। इसके लिए किसी तरह का कोई पैसा भी अतिरिक्त तौर पर कर्मचारियों को नहीं मिलता है। श्रम मंत्रालय ने इसी कार्यशैली को खत्म करने और कर्मचारियों को राहत देने के लिए इस बिल को पेश किया है।
लिखित में लेनी होगी मंजूरी
बिल के प्रस्ताव के मुताबिक, कंपनियों को ओवरटाइम कराने के लिए कर्मचारियों से लिखित में मंजूरी लेनी होगी। अगर कोई कर्मचारी ओवरटाइम के लिए राजी हो जाता है, तो उसको दोगुनी बेसिक पे, महंगाई भत्ता और रिटेंशन पे देना होगा।
हफ्ते में 56 घंटे काम
फिलहाल कई कंपनियां कर्मचारियों से 56 घंटे तक काम कराती हैं। वहीं स्वरोजगार में लगे लोग हफ्ते में 46 से 54 घंटे और कैजुअल वर्कर 43 से 48 घंटे तक काम करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के नियमों का साफ तरह से उल्लंघन है।