दिल्ली
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी पर सरकार ने लगाया करोड़ों का जुर्माना
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पर आयकर विभाग के सेटलमेंट कमिशन ने 57 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
राज्यसभा सांसद सिंघवी पर यह कार्रवाई इसलिए की गई कि वह अपने ऑफिस पर खर्च की गई राशि से संबंधित दस्तावेज मुहैया नहीं करवा पाए। हालांकि राजस्थान हाई कोर्ट ने इस आदेश पर स्टे लगा दिया है।
मामला साल 2010-11 से 2012-13 का है। सिंघवी पर आरोप है कि उन्होंने इन तीन सालों की अपनी प्रफेशनल इनकम 91.95 करोड़ रुपए कम दिखाई। आयकर विभाग की कार्रवाई के खिलाफ सिंघवी खुद सेटलमेंट कमिशन गए थे जहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। कमिशन ने मुकदमे से छूट की सिंघवी की याचिका को खारिज करते हुए उन पर यह जुर्माना लगा दिया।
मामले की जांच करने वाले जोधपुर इनकम टैक्स कमिश्नर ने पाया कि सिंघवी के अकाउंट्स से काफी कैश निकाला गया, जो करीब 7 करोड़ रुपये से लेकर 32 करोड़ रुपये तक था। सूत्रों के मुताबिक सिंघवी ने कहा है कि यह पैसा उनके लीगल असिस्टेंट्स को फीस देने के लिए निकाला गया था, इसमें से कुछ पैसा कैश में भुगतान के लिए इस्तेमाल किया गया।
वित्तीय वर्ष 2010-11 में आयकर विभाग को सिंघवी के दावों की सत्यता पर शक हुआ क्योंकि सिंघवी ने 16 करोड़ का खर्च दिखाया था, पर उससे जुड़ी कोई लिस्ट नहीं दी थी। विभाग को यह भी पता चला कि ज्यादातर भुगतान जनवरी से मार्च के बीच किया गया है। उदाहरण के लिए साल 2011 में, 18,000 से ज्यादा वाउचर्स थे जिनमें से 1,200 वाउचर्स पर 31 मार्च की तारीख थी। सेटलमेंट कमीशन के सामने आयकर विभाग ने कहा, ‘एक सीनियर प्रफेशनल वकील के लिए निर्धारण वर्ष में जितना खर्च दिखाया गया है, वह तर्कसंगत नहीं लगता।’
सिंघवी यह कहते हुए वाउचर्स पेश नहीं कर पाए थे कि उनके वकील मयंक गुप्ता के दफ्तर में रखे दस्तावेजों को दीमक खा गए थे। वहीं आयकर विभाग ने इस दलील को सिर्फ दस्तावेज पेश करने से बचने की एक चाल बताया था।
इसी तरह, साल 2012-13 में भी आयकर विभाग ने कुछ गड़बड़ियां पकड़ीं। सेटलमेंट कमिशन ने अपने फैसले में कहा कि तीन निर्धारण वर्षों के लिए आयकर विभाग को दिखाए गए कुल खर्च के 90 फीसदी राशि पर टैक्स लगाना चाहिए। सिंघवी के दफ्तर के मुताबिक कमिशन ने उनकी तीन सालों की घोषित प्रफेशनल इनकम में 91.95 करोड़ रुपये जोड़ते हुए, 56.67 करोड़ का जुर्माना लगाया है।
फिलहाल राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर बेंच ने कमिशन के 11 सितंबर के आदेश पर स्टे लगा दिया है। सिंघवी के आधिकारिक प्रतिनिधि अमित भंडारी ने एक बयान में कहा, ‘सेटलमेंट कमीशन के आदेश पर हाई कोर्ट से स्टे लगा दिया है। इसलिए कानूनन अभी किसी आदेश का अस्तित्व नहीं है।