काम के दम पर फिर बनेगी सपा सरकार
अक्सर सार्वजनिक मंचों से उप्र की समाजवादी सरकार के मुखिया अखिलेश यादव व सरकार के काम करने के तरीकों पर टिप्पणी करने वाले सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने भी अब यह मान लिया है कि राज्य सरकार ने सूबे में विकास के नए कीर्तिमान बनाये हैं। अभी हाल में मैनपुरी में पार्टी मुखिया ने सीना ठोंककर और विरोधियों को ललकारते हुए कहा भी कि यदि विकास देखना है तो उप्र आओ। उन्होंने यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि सूबे की सरकार ने विकास के नए आयाम स्थापित करने के साथ ही चुनाव के दौरान किए गए सभी वादों को पूरा किया है। उन्हें विश्वास है कि सरकार के कामों से संतुष्ट प्रदेश की जनता एक बार फिर से सूबे की कमान अखिलेश यादव को ही सौंपेगी।
दरअसल बसपा सरकार जाने के बाद जब सूबे में अखिलेश यादव के नेतृत्व में चार साल पहले नयी सरकार आयी तो लोगों को हर बार की तरह उससे खास उम्मीद थी। इस बार उम्मीद इसलिए ज्यादा थी क्योंकि मुख्यमंत्री मुलायम या मायावती नहीं बल्कि युवा जोश से भरे अखिलेश यादव थे। अखिलेश यादव ने सत्ता संभालते ही लखनऊ में मेट्रो की बात शुरू कर दी। फिलहाल यहां निर्माण कार्य जारी है। छात्रों को लैपटॉप देने की योजना पर भी अमल किया जाना शुरू कर दिया गया। साइकिल और छात्रवृत्ति सरीखी योजनाओं में भी तेजी आयी। विशेषकर 2014 के आम चुनावों के बाद तो युवा जोश ने अपनी कार्यशैली में एकाएक परिवर्तन किया और उसके बाद उनके काम करने के तरीके में निखार आया। अब जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बिजली, पानी और कानून व्यवस्था सरीखी बातों पर खुद ध्यान देने की बात कर रहे हैं। सरकार के चार साल पूरा होने पर उन्होंने उपलब्धियों का खाका दिखाया। बीते चार साल में बुंदेलखण्ड की समस्या पर केवल भाषणबाजी ही नहीं हुई बल्कि बड़े पैमाने पर वहां राहत बांटी भी गयी। मुख्यमंत्री को भी यह मालूम है कि अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और यह एक महत्वपूर्ण परीक्षा की घड़ी होगी। यह अखिलेश सरकार के कामकाज का ही नतीजा था कि अब बसपा भी विकास की बात करने लगी है। हालांकि सरकार में रहते उसे विकास की याद नहीं आई।
मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था के मोर्चे पर आलोचना करने वालों को भी अब स्वयं जवाब देना शुरू कर दिया है। वे कहते हैं कि जिस तरह एंबुलेंस 102 व 108 सूचना मिलते ही 15 से 20 मिनट में मरीज के दरवाजे पर पहुंचती है, उसी तरह सूचना मिलने पर पुलिस भी पहुंचेगी। जुलाई-अगस्त तक आरोप लगाने वालों के मुंह बंद हो जाएंगे। वे समाजवादी पेंशन, पुल, सड़क योजनाओं आदि को सिलसिलेवार गिनाने से परहेज नहीं कर रहे हैं और अब वे पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुके हैं। करोड़ों बेरोजगार नौजवानों को रोजगार देने का सपना दिखाकर नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री तो बन गए लेकिन उनका यह वादा अभी भी पूरा नहीं हुआ है। वहीं अखिलेश यादव ने हाल ही में प्रदेश में 200 करोड़ रुपये से अधिक औद्योगिक निवेश की छह मेगा परियोजनाओं के जरिये कुल 3166 करोड़ रुपये का निवेश करने का फैसला किया। इन इकाइयों के माध्यम से 11,645 लोगों को रोजगार मिल सकेगा। कैबिनेट ने भी इन मेगा परियोजनाओं को औद्योगिक निवेश नीति के तहत अगले सात से 10 वर्षों के दौरान 3184 करोड़ रुपये मूल्य की रियायतें, प्रोत्साहन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इन छह मेगा परियोजनाओं को राज्य सरकार की ओर से स्टांप शुल्क में छूट के अलावा सालाना दो करोड़ रुपये तक की कैपिटल इंट्रेस्ट सब्सिडी व इंफ्रास्ट्रक्चर इंट्रेस्ट सब्सिडी दी जाएगी। उनके द्वारा अदा किये जाने वाले नियमित कर्मचारियों के भविष्य निधि अंशदान के 50 फीसद हिस्से को तीन साल तक सरकार वहन करेगी। जिन मेगा परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने का फैसला हुआ, उनमें मेसर्स एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ग्रेटर नोयडा छह मेगा परियोजनाओं को राज्य सरकार की ओर से स्टांप शुल्क में छूट के अलावा सालाना दो करोड़ रुपये तक की कैपिटल इंट्रेस्ट सब्सिडी व इंफ्रास्ट्रक्चर इंट्रेस्ट सब्सिडी दी जाएगी। उनके द्वारा अदा किये जाने वाले नियमित कर्मचारियों के भविष्य निधि अंशदान के 50 फीसदी हिस्से को तीन साल तक सरकार वहन करेगी।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का मानना है कि सीमित बजट के दायरे में उत्तर प्रदेश के व्यापक विकास के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। सरकार सभी क्षेत्रों एवं वर्गों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा संतुलित विकास पर बल देते हुए किसानों एवं नौजवानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के हर सम्भव प्रयास कर रही है। उनकी स्पष्ट सोच है कि प्रदेश का विकास तब तक सम्भव नहीं, जब तक यहां के किसान एवं नौजवान खुशहाल न हो जाएं। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2016-17 को किसान वर्ष एवं युवा वर्ष घोषित कर सरकार उनकी समस्याओं के निदान पर विशेष ध्यान दे रही है। अखिलेश सरकार की उपलब्धियों में से एक आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे देश का सबसे लम्बा एवं कम समय में बनने वाला यह एक्सप्रेस-वे है और यह अक्टूबर-नवम्बर में तैयार हो जाएगा। प्रदेश सरकार ने इस परियोजना के लिए कोई ‘स्वीटनर’ नहीं दिया गया, इसीलिए निजी कम्पनियां इसके निर्माण के लिए आगे नहीं आयीं। बाद में राज्य सरकार ने अपने बजट के माध्यम से इस परियोजना को लागू करने का फैसला लिया। साथ ही, यह भी ध्यान रखा गया कि इस बड़ी परियोजना पर होने वाले खर्च की वजह से अन्य योजनाएं प्रभावित भी न हों। इस परियोजना के लिए किसानों से भूमि, उनकी सहमति से प्राप्त की गई, जिसके लिए उन्हें सामान्य मूल्य से करीब चार गुना धनराशि दी गई। इस एक्सप्रेस-वे से उत्तर प्रदेश का आर्थिक परिदृश्य बदलने वाला है। अब सरकार ने लखनऊ से पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया तक समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे भी बनाने का फैसला किया है, जिसका लाभ प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र को मिलेगा।
अखिलेश सरकार ने अधिकारियों एवं विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर हर साल विकास का एजेण्डा तैयार कर व्यवस्थित ढंग से उसे लागू करने का प्रयास किया है। इससे प्रदेश के विकास की एक स्पष्ट एवं निर्धारित राह बनाने में मदद मिली है। आधारभूत संरचना से सम्बन्धित परियोजनाओं के लिए पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था की गई, क्योंकि पूंजीगत विकास से वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में रोजगार के नये अवसर पैदा होते हैं। साथ ही, निवेशकर्ताओं को भी सहूलियत होती है। सर्वविदित है कि उप्र की अर्थव्यवस्था मूलत: ग्रामीण अर्थव्यवस्था है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी अधिक होने के कारण राज्य सरकार ने समाज कल्याण की योजनाओं पर भी पर्याप्त ध्यान दिया है। पहले सरकार ने गरीब महिलाओं को साल में दो साड़ियां देने का निर्णय लिया था लेकिन तमाम पहलुओं पर विचार करते हुए बाद में इसकी जगह समाजवादी पेंशन योजना संचालित करने का फैसला किया, जो कि देश की यह सबसे बड़ी पेंशन योजना है, जिसके माध्यम से 45 लाख गरीब परिवारों को सीधे उनके बैंक खाते में धनराशि भेजकर, उन्हें राहत पहुंचायी जा रही है। इनमें अधिकांश लाभार्थी, परिवार की महिला मुखिया हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए गांव एवं किसान के लिए जिस पैमाने पर काम की जरूरत थी, पहले वैसा नहीं किया गया। वर्तमान राज्य सरकार ने इस समस्या पर गम्भीरता से विचार करते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए हैं। वर्षों से लम्बित सिंचाई परियोजनाओं को धनराशि उपलब्ध कराकर, इन्हें तेजी से पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। कामधेनु डेयरी परियोजना के माध्यम से कई बेरोजगार नवयुवक एवं नवयुवतियां आज दूसरों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। यहां के सबसे बड़े बाजार को देखते हुए अमूल डेयरी सहित अन्य कई प्रतिष्ठान राज्य में निवेश कर रहे हैं। शीघ्र ही कानपुर एवं लखनऊ में अमूल के प्लाण्ट संचालित हो जाएंगे। प्रदेश की पराग डेयरी की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए गम्भीरता से काम किया जा रहा है। इसके कई नये प्लाण्ट स्थापित किए जा रहे हैं। पहले से स्थापित इसके कई प्लाण्टों की क्षमता में वृद्धि की जा रही है। इससे भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
किसानों को सरकारी संसाधनों से मुफ्त सिंचाई के साथ ही भूमि विकास बैंक द्वारा दिए गए ऋणों के ब्याज पर राहत देने का काम किया गया है। उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक की खराब आर्थिक दशा सुधारने के लिए राज्य सरकार द्वारा आर्थिक मदद उपलब्ध करायी गई है। राज्य सरकार द्वारा अपनी तमाम योजनाओं की धनराशि लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे भेजे जाने की व्यवस्था के मद्देनजर, सर्वाधिक बैंक खाते प्रदेश में ही खोले गए हैं। राज्य में बढ़ रही बैंकिंग गतिविधियों का आकलन इस तथ्य से किया जा सकता है कि विभिन्न क्षेत्रों में करीब चार हजार नई बैंक शाखाएं स्थापित हुई हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मालूम है कि विकास के लिए बिजली का क्या महत्व है, इसीलिए सरकार ने प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को सुधारने के लिए पारेषण, वितरण एवं उत्पादन आदि तीनों क्षेत्रों में काफी काम किया। प्रदेश की सौर ऊर्जा नीति के नतीजे से निवेश बढ़ रहा है। वर्तमान राज्य सरकार हर हालत में प्रदेश को विकास के रास्ते पर आगे ले जाना चाहती है। इसके लिए केन्द्र सरकार की परियोजनाओं में भी वह मदद कर रही है। ’