राष्ट्रीय
काम पर वापस लौटे सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज आलोक वर्मा ने फिर से सीबीआई डायरेक्टर का पदभार ग्रहण किया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सलेक्ट कमेटी के फैसले तक वर्मा को बतौर निदेशक किसी भी नीतिगत फैसले से दूर रहने को कहा है। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक एफआईआर दर्ज करना और तबादले करना रुटीन मामला है ना कि नीतिगत फैसला।
प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा में विपक्षी दल या सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता की सलेक्ट कमेटी सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति संबंधि फैसला करती है। अलोक वर्मा के केस में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस कि जगह जस्टिस ए.के. सिकरी, प्रधानमंत्री मोदी और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे फैसला लेंगे। सीबीआई डायरेक्टर अलोक वर्मा के मुद्दे पर सलेक्ट कमेटी की मीटिंग आज होगी।
प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा में विपक्षी दल या सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता की सलेक्ट कमेटी सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति संबंधि फैसला करती है। अलोक वर्मा के केस में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस कि जगह जस्टिस ए.के. सिकरी, प्रधानमंत्री मोदी और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे फैसला लेंगे। सीबीआई डायरेक्टर अलोक वर्मा के मुद्दे पर सलेक्ट कमेटी की मीटिंग आज होगी।
हालांकि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) का सीबीआई पर परीवेक्षिय अधिकार (सुपरवायजरी पावर) वर्मा के इन फैसलों पर अड़ंगा लगा सकती है। सीबीआई के एक पूर्व निदेशक ने बताया कि वर्मा के लिए गए किसी भी फैसले पर सुप्रीम कोर्ट और सीवीसी की तलवार लटकती रहेगी। क्यूंकि कई रुटीन फैसले को नीतिगत फैसला मानकर चुनौती दी जा सकती है। सीबीआई में चर्चा है कि वर्मा के बचे हुए कार्यकाल में ऐजेंसी में कई नए समीकरण बन सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक एम नागेश्वर राव के बतौर निदेशक अल्प अवधि में वर्मा के कई नजदीकी अधिकारियों का तबादला किया गया। अब वर्मा उन्हें वापस बहाल कर सकते हैं। इसकेअलावा विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दायर एफआईआर की जांच में तेजी आ सकती है।