उत्तर प्रदेशराज्य

खुलासा: झुक रहा है बाबा विश्वनाथ का स्वर्ण शिखर

acr468-5623f8f47bb34kashi-vishwanath-templeदस्तक टाइम्स एजेंसी/काशी विश्वनाथ मंदिर का स्वर्ण शिखर झुक रहा है। रविवार की सुबह नोएडा अथॉरिटी के पूर्व टाउन प्लानर और मंदिर के नवनियुक्त वास्तु सलाहकार राजपाल कौशिक के नेतृत्व में देश के जाने-माने वास्तुविदों ने बाबा दरबार के आरंभिक अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला।

उन्होंने मंदिर के मौजूदा स्वरूप को देखने के बाद बताया कि गर्भगृह भी परिसर की सतह से चार फीट नीचे हो गया है। यह बदलाव मंदिर विस्तार के तहत कराए गए कार्यों की वजह से हुआ है।

इसके बाद उन्होंने न्यास परिषद अध्यक्ष आचार्य पं. अशोक द्विवेदी के साथ बैठक कर मंदिर के पुराने स्वरूप को संरक्षित करने और परंपराओं को बचाने के उपायों पर उन्होंने चर्चा की। यह रिपोर्ट जल्द ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजी जाएगी।

मंदिर के वास्तु सलाहकार कौशिक ने विशेषज्ञों के साथ सुबह करीब तीन घंटे तक मंदिर के शिखरों, दीवारों के अलावा गर्भगृह में आए बदलावों का अध्ययन किया। आरंभिक अध्ययन के आधार पर उन्होंने कहा कि मंदिर का शिखर झुक रहा है।

उन्होंने बताया कि कुछ लोग कह रहे हैं कि शिखर का ऐसा स्वरूप पहले से ही है, लेकिन जब मैंने मंदिर से लगे गंगा घाट की ओर के भवनों को देखा तो वह भी झुके हुए नजर आए। जरूरत पड़ने पर इसे मैं प्रमाणित कर सकता हूं।

 
 

शिखर कितना और किन वजहों से झुक रहा है इसका अध्ययन गहराई से कराने का उन्होंने सुझाव दिया। कहा कि सीबीआरआई की रिपोर्ट का भी अध्ययन किया जाएगा। गर्भगृह का आधार भी करीब चार फीट तक नीचे चले जाने की उन्होंने जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि अभी जेम्स प्रिंसेप के नक्शे के अलावा पुरानी तस्वीरों का भी अध्ययन कर मंदिर के मौजूदा स्वरूप में आए अंतर को बरीकी से समझा जाएगा। इसके बाद रवींद्रपुरी स्थित न्यास अध्यक्ष के आवास पर हुई बैठक में मंदिर के हेरिटेज स्वरूप को बचाने पर उन्होंने चर्चा की।

उनका कहना था कि बाद में कराए गए रानी भवानी और तारकेश्वर मंदिर के निर्माण के दौरान कार्यदायी संस्थाओं ने परिसर को ऊंचा करा दिया होगा। इसी वजह से गर्भगृह की सतह परिसर से नीचे हो गई है। जबकि पहले गर्भगृह सभा मंडप और परिक्रमा पथ से ऊंचा था।

उन्होंने मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए दर्शन-पूजन की सुविधा के अलावा किसी तरह के निर्माण के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया। सलाह दी कि अतिथिगृह या किसी दूसरे उपयोग में आने वाले भवनों का निर्माण परिसर से बाहर कराया जाना चाहिए।

इस मौके पर क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र यादव, वास्तुविद ऋषभ जैन, अनिल किंजावडे़कर भी उपस्थित थे।

 
 चौकाघाट स्थित सांस्कृतिक संकुल को विश्वनाथ मंदिर के अधीन करने पर विचार किया गया। अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना था कि संकुल मंदिर की भूमि पर बना है। वहां आने वाले दिनों में बहुद्देशीय भवन और कम्युनिटी सेंटर का निर्माण कराया जा सकता है।

मंदिर परिसर तक जाने वाली गलियों, सड़कों को अतिक्रमण मुक्त कराकर व्यवस्थित कराने पर जोर दिया गया, ताकि गलियों के माला-फूल, प्रसाद दुकानदारों के अलावा श्रद्धालुओं को सहूलियत मिल सके।

इस दौरान मंदिर के वास्तु सलाहकार कौशिक के अलावा प्रसिद्ध वास्तुविद जय कार्तिकर का कहना था कि मंदिर के हेरिटेज स्वरूप को बचाने के लिए यह अध्ययन एक शुरुआत भर है।

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