राज्य
खेत पर सो रहा था मासूम, पैंथर खा गया उसका चेहरा, गांव में कोहराम
राजसमंद। राजसमंद में एक पैंथर के 8 साल के मासूम का शिकार करने से हड़कंप मच गया है। मासूम अपने चाचा और पिता के साथ गन्ने के खेत में सो रहा था। अचानक रात करीब साढ़े ग्यारह बजे बच्चा गायब हो गया। पिता और चाचा को कुछ ही देर में उसकी बॉडी पास के दूसरे खेत में मिली। पैंथर बच्चे की गर्दन से जकड़ कर ले गया था और उसका चेहरा पूरी तरह खा गया। इसके बाद पूरे गांव में कोहराम मच गया।
यूं घटी पूरी घटना…
– राजसमंद खमनौर क्षेत्र में मड़का गांव का मामला है। यह सायों का खेड़ा पंचायत में आता है।
– 8 साल का पुष्कर पुत्र नारुलाल गमेती और उसका चाचा व पिता घर से दूर गन्ने के खेत में सो रहे थे।
– यह खेत गांव के उप सरपंच का था, जहां दोनों मजदूरी करते थे।
– रात करीब साढ़े नौ बजे तीनों सो गए।
– रात साढ़े ग्यारह बजे पिता की नींद खुली तो देखा बच्चा गायब था।
– दोनों उठे और तलाश शुरू कर दी।
– गन्ने के खेत से ही करीब 100 मीटर की दूरी पर कुछ देर बाद बॉडी मिली।
– रात को ही गांव वालों को पता चल गया।
– पुलिस रात करीब डेढ़ बजे मौके पर पहुंच गई।
– 8 साल का पुष्कर पुत्र नारुलाल गमेती और उसका चाचा व पिता घर से दूर गन्ने के खेत में सो रहे थे।
– यह खेत गांव के उप सरपंच का था, जहां दोनों मजदूरी करते थे।
– रात करीब साढ़े नौ बजे तीनों सो गए।
– रात साढ़े ग्यारह बजे पिता की नींद खुली तो देखा बच्चा गायब था।
– दोनों उठे और तलाश शुरू कर दी।
– गन्ने के खेत से ही करीब 100 मीटर की दूरी पर कुछ देर बाद बॉडी मिली।
– रात को ही गांव वालों को पता चल गया।
– पुलिस रात करीब डेढ़ बजे मौके पर पहुंच गई।
पहले भी तीन बच्चे मारे जा चुके हैं इस क्षेत्र में
– वर्ष 2012 से 2014 के बीच 3 बच्चों का भी पैंथर शिकार कर चुके हैं।
– पांच बच्चों पर हमला किया गया। इनमें से तीन की मौत हो गई।
– पांच बच्चों पर हमला किया गया। इनमें से तीन की मौत हो गई।
– तीन घटनाएं गोड़च और नेड़च में हुईं।
खमनौर और नाथद्वारा रेंज में हैं 60 से ज्यादा हैं पैंथर
असल में खमनौर और नाथद्वारा रेंज में 60 पैंथरों का मूवमेंट है। इनमें से ज्यादातर खुले में घूमते रहते हैं। गांव में भी आते रहते हैं। कई घटनाएं हमले की हो चुकी हैं। गायों और अन्य जानवरों का शिकार भी करते रहते हैं। जब पानी की कमी होती है तो वे गांवों की ओर आ जाते हैं। पिछले कुछ समय से इनकी संख्या में भी इजाफा हुआ है।
प्लान नहीं है वन विभाग के पास इनके संरक्षण का
– घटना के बाद पीड़ित परिवार को मुआवजे की योजना के अलावा पैंथरों के संरक्षण की कोई खास योजना नहीं है। चार पिंजरों के अलावा कुछ नहीं है। उदयपुर संभाग में ट्रैंक्युलाइज करने वाला केवल एक शूटर है। ट्रेनिंग का भी कोई प्लान नहीं है।