गोवर्धन : वह पर्वत जिसे श्रीकृष्ण ने सात दिन तक अंगुली पर थामे रखा
मथुरा के पास स्थिति गोवर्धन पर्वत हिन्दुओं की प्रमुख आस्था स्थली है। श्रीकृष्ण की इस लीला भूमि में पूरे साल पर्यटकों व श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
गोवर्धन से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित है। इनके अनुसार कहा जाता है कि जब बृज में देवराज इंद्र के कोप से मूसलाधार बरसात हुई तक श्रीकृष्ण ने सात दिन तक छाते की तरह से गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्क अंगुली पर थामे रखा और बृजवासियों ने गोवर्धन की छत्रछाया के बीच ये सात दिन गुजारे।
यहां वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि पवित्र गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से मनौतियां पूरी होती है। गोवर्धन परिक्रमा के बीच एवं उसके आस-पास के रमणीक एवं एेतिहासिक स्थलों में मुख्य आकर्षण हर देवजी मंदिर है जो भगवान कृष्ण को समर्पित है।
इस मंदिर में राधा और कृष्ण की सुन्दर प्रतिमाएं विराजमान है। राधा कुंड वह स्थान है जहां राधा और कृष्ण गोपियों से मिला करते थे। वहां पर कुसुम सरोवर भी है, कहा जाता है कि यहां गोपियां भगवान कृष्ण की प्रतीक्षा किया करती थी।
यहां मानसी गंगा भी है जहां के निर्मल जल में स्नान से आत्मिक सुकून मिलता है। गोवर्धन जाने का सबसे उचित समय नवम्बर से मार्च के बीच है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है। हालांकि, तीर्थस्थान होने से में गोवर्धन पूरे साल श्रद्धालुओं आवागमन लगा रहता है।