‘जन सुनवाई’ से दूर होता दर्द
यूपी देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। यहां के पूर्वी हिस्से की समस्या भिन्न है तो पश्चिमी हिस्से की अलग। जीवन स्तर और जीवन शैली में भी भिन्नता है। जाहिर है ऐसे प्रदेश में जो भी योजनायें बनेंगी, वह ऐसी होनी चाहिए जो सभी हिस्सों को संतृप्त कर सकें। नयी सोच के धनी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विशेष तौर पर इसी ओर ध्यान दिया। विकास का एजेण्डा तय करते समय हर पहलू पर गंभीरता से मंथन किया गया। शिकायतों के त्वरित, प्रभावी एवं पारदर्शी निस्तारण के उद्देश्य से समाजवादी सरकार ने इस साल जनवरी से देश के पहले एकीकृत पोर्टल ‘जन-सुनवाई’ की व्यवस्था लागू की। जन सुनवाई’ का एक अनूठा प्रयोग मुख्यमंत्री का ही विजन था। स्थिति यह है कि ‘जन-सुनवाई’ व्यवस्था लागू होने के बाद अब तक दो लाख से अधिक प्रकरण प्राप्त हुए, जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत मामलों का निस्तारण कराया जा चुका है। साफ है कि इन सभी 70 फीसदी लोगों की समस्याओं का जड़ से निराकरण हो गया।
मुख्यमंत्री का स्पष्ट मत है कि इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी के जरिए सरकार की व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के साथ ही, जनता की उम्मीदों को अधिक बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए समाजवादी सरकार ने वर्ष 2015-16 के अपने विकास एजेण्डे में, जनशिकायतों के प्रभावी प्रबन्धन, समाधान और निगरानी के लिए ‘इंटीग्रेटेड ग्रीवान्स रिडेज्सल सिस्टम’ विकसित करने पर जोर दिया, जिससे जनता की सभी शिकायतों को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर, वहीं से उनके समाधान की व्यवस्था की जाए और उनकी निगरानी भी सुनिश्चित की जाए। इसीलिए प्रदेश सरकार ने ‘जन-सुनवाई’ पोर्टल के माध्यम से शिकायतों के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण तथा दिक्कतों के प्रभावी समाधान की व्यवस्था लागू की। ‘जन-सुनवाई’ व्यवस्था के तहत राज्य में मौजूद विभिन्न शिकायत प्रबन्धन प्रणालियों को एक प्लेटफॉर्म पर शामिल किया गया है। इसके तहत जनता की सभी समस्याओं एवं शिकायतों को ऑनलाइन एक ही पोर्टल पर प्राप्त किया जा रहा है। ‘ई-मार्किंग’ के जरिए ये शिकायतें और आवेदन सम्बन्धित अधिकारियों और विभागों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजे जा रहे हैं, जिससे इनके निस्तारण में काफी तेजी आयी है।
इस व्यवस्था के लागू हो जाने से सम्बन्धित विभागों एवं अधिकारियों को शिकायतों एवं समस्याओं के समाधान और मॉनीटरिंग में सहूलियत हो रही है, जिससे जनता और सरकारी कार्यालयों के बीच सुविधाजनक एवं पारदर्शी तरीके से संवाद कायम हुआ है। ऑनलाइन होने के कारण नागरिक अपनी शिकायतें घर बैठे भी दर्ज करा सकते हैं। साथ ही, शिकायतकर्ता किसी भी समय अपनी शिकायतों के निस्तारण की स्थिति को टैज्क कर सकते हैं। इससे जनता को राज्य सरकार के किसी ऑफिस या विभाग में आने-जाने की अनावश्यक दौड़-भाग से छुटकारा भी मिल गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, तहसील दिवस, जन सुविधा केन्द्रों, लोकवाणी केन्द्रों के साथ-साथ ऑनलाइन की गयी शिकायतें किस पड़ाव तक पहुंची हैं, इसका पता भी ‘जन-सुनवाई’ पोर्टल के माध्यम से किया जा सकता है। इस व्यवस्था के तहत शिकायतकर्ता को शिकायत के रजिस्ट्रेशन, समाधान सहित हर पड़ाव पर एसएमएस के माध्यम से सूचित किए जाने की व्यवस्था की गई है।
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए शिकायतकर्ता को उसकी शिकायत को दूर करने सम्बन्धी रिपोर्ट को, पोर्टल पर देखने की सुविधा भी उपलब्ध कराई गयी है। तय समय में हल न निकलने पर शिकायतकर्ता पोर्टल के माध्यम से ही सम्बन्धित अधिकारियों को ऑनलाइन रिमाइण्डर भी भेज सकता है। पोर्टल पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण पर मुख्यमंत्री कार्यालय की लगातार नजर बनी रहती है। अब स्वयं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वयं जनता की शिकायतों के समाधान की स्थिति को परखने के लिए प्रदेश स्तर के कार्यालय पर इनके निस्तारण की समीक्षा करने का फैसला किया है। अभी हाल में मुख्यमंत्री ने ‘जन-सुनवाई’ प्रणाली पर जनता की शिकायतों के निस्तारण में ढिलाई बरतने वाले एक जिलाधिकारी और चार जिलों के पुलिस प्रमुखों का जवाब-तलब किया। इनमें पीलीभीत के जिलाधिकारी तथा फैजाबाद, कासगंज, देवरिया और बस्ती जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक शामिल थे। मुख्यमंत्री के इन तेवरों से जिलों में तैनात अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। यदि मुख्यमंत्री ने जल्दी-जल्दी इस व्यवस्था की समीक्षा की तो निश्चित रूप से जहां समस्यायें त्वरित गति से हल होंगी वहीं अधिकारी भी टालमटोली की कार्यशैली छोड़कर सक्रिय होते दिखेंगे। नतीजतन भला इस सूबे की जनता का ही होगा। =