नई दिल्ली. दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में रविवार देर रात भूकंप के झटके महसूस हुए। इसमें फिलहाल किसी नुकसान की खबर नहीं है। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में था। इस वजह से अफगानिस्तान-पाकिस्तान में ज्यादा तेज झटके महसूस हुए।
कहां आया भूकंप?
रविवार देर रात 11.49 बजे भूकंप के झटके महसूस हुए।
इसका केंद्र अफगानिस्तान के अश्कशाम इलाके से 22 किमी दूर था।
अश्कशाम अफगानिस्तान-ताजीकिस्तान की बॉर्डर पर है।
भूकंप 92.4 किमी की गहराई में आया।
यूएसजीएस के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.9 थी। लेकिन पाकिस्तान के मौसम विभाग के मुताबिक, भूकंप 6.2 तीव्रता के साथ आया।
भारत में कहां महसूस हुए झटके?
दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, यूपी के कुछ हिस्सों सहित उत्तर भारत के कई इलाकों में ये झटके महसूस हुए। वहीं, पाकिस्तान में पेशावर, लाहौर, कराची, इस्लामाबाद में तेज झटके आए।
एक महीने पहले आया था ताकतवर भूकंप
बता दें कि इससे पहले 27 अक्टूबर को अफगानिस्तान में ही 7.5 तीव्रता का भूकंप आ चुका है। इसमें 260 लोग मारे गए थे। उस वक्त भारत के 11 राज्यों में झटके महसूस हुए थे।
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
भारत के आसपास भूकंप की क्या है वजह?
अर्थक्वेक ट्रैक एजेंसी के मुताबिक, हिमालयन बेल्ट की फॉल्ट लाइन के कारण एशियाई इलाके में ज्यादा भूकंप आ रहे हैं। इसी बेल्ट में हिंदूकुश रीजन भी आता है।
इस साल अप्रैल-मई में नेपाल में आए भूकंप के कारण करीब 8 हजार लोगों की मौत हुई थी।
हिमालय कुछ सेंटीमीटर की दर से उत्तर में खिसक रहा है।
हिमालयन फॉल्ट लाइन पर भारत सरकार की मदद से अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की थी। यह स्टडी यूएस जर्नल लिथोस्फीयर और जेजीआर में छपी थी।
इस स्टडी को लीड कर चुके जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के सी.पी. राजेंद्रन के मुताबिक, हिमालय 700 साल पुरानी फॉल्ट लाइन पर मौजूद है।
यह फॉल्ट लाइन ऐसे मुहाने पर पहुंच चुकी है, जिसकी वजह से कभी भी वहां ऐसा भूकंप आ सकता है जो पिछले 500 साल में नहीं देखा गया हो।
कितनी तबाही ला सकता है भूकंप?
रिक्टर स्केल
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असर
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0 से 1.9
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सिर्फ सीस्मोग्राफ से ही पता चलता है।
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2 से 2.9
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हल्का कंपन।
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3 से 3.9
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कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर।
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4 से 4.9
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खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।
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5 से 5.9
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फर्नीचर हिल सकता है।
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6 से 6.9
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इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।
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7 से 7.9
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इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।
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8 से 8.9
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इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं। सुनामी का खतरा।
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9 और उससे ज्यादा
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पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समुद्र नजदीक हो तो सुनामी।
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*भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।
इसका केंद्र अफगानिस्तान के अश्कशाम इलाके से 22 किमी दूर था।
अश्कशाम अफगानिस्तान-ताजीकिस्तान की बॉर्डर पर है।
भूकंप 92.4 किमी की गहराई में आया।
यूएसजीएस के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.9 थी। लेकिन पाकिस्तान के मौसम विभाग के मुताबिक, भूकंप 6.2 तीव्रता के साथ आया।