नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्चन्यायालय के किसी सीटिंग जज को पहली मर्तबा अवमानना के लिए दोषी ठहराते हुए सजा दी है। उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया गया है। जो निर्णय उच्चतम न्यायालय ने लिया है उसे एतिहासिक माना जा रहा है। दरअसल यह मामला कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कर्नन को लेकर है। दरअसल उन्हें पहले ही न्यायिक कार्यों से दूर रखे जाने का आदेश दिया जा चुका है लेकिन इसके बाद भी उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के ही मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर सहित 8 न्यायाधीशों को 5 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
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न्यायाधीश कर्नन को पहले ही न्यायिक कार्यों से अलग कर दिया गया था लेकिन इसके बाद भी वे न्यायिक कार्य पर रहे। इसे सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी अवमानना माना है। इस मामले में अतिरिक्त साॅलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल और रूपिंदर सिंह सूरी द्वारा न्यायमूर्ति कर्नन को सजा दिए जाने का समर्थन किया गया। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति कर्नन अवमानना के मामले में न्यायालय में पेश नहीं हुए थे।
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इसे न्यायालय ने अपनी अवमानना माना था। अब न्यायालय ने उन्हें न्यायिक कार्य करने की रोक के बाद भी कार्य करने को लेकर सवाल किए हैं और अवमानना के लिए उन्हें दोषी ठहराया। कर्नन 20 न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उनके विरूद्ध अवमानना का नोटिस जारी किया था मगर कर्नन न्यायालय में पेश नहीं हुए। इतना ही नहीं उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को ही सजा सुना दी। इसे कड़ी कार्रवाई के तहत लिया गया और उन्हें अवमानना का दोषी माना गया। हालांकि कर्नन ने कहा कि वे मानसिकतौर पर स्वस्थ्य हैं। मगर न्यायालय ने उन्हें दोषी करार दिया है।