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जाति के आंकड़े न जारी होने से नाराज लालू ने निकाला मार्च

laluटना. जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी करनी की मांग को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को राजभवन तक मार्च किया। खुली जिप्सी पर जब लालू को धूप लगी तो बेटे ने छाते से उन्हें राहत दी। मार्च के दौरान राजधानी के आर ब्लॉक पर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए लालू ने कहा कि 90 फीसदी पिछड़ों पर 10 फीसदी अगड़े राज कर रहे हैं। लालू ने कहा कि मंडल के लोग उठो और कमंडल को फोड़ दो। उन्होंने कहा कि जनगणना के आंकड़े जारी होने पर पिछड़े वर्ग के लिए स्पेशल बजट बनाया जाता, लेकिन भाजपा सरकार गरीबों का हित नहीं चाहती। मार्च के दौरान लालू यादव ने कहा कि भाजपा सरकार पिछड़ों और दलितों की विरोधी है। मोदी सरकार के खिलाफ सभी पिछड़ी जाती के लोगों, दलितों और मुस्लिमों को एकजुट हो जाना चाहिए।राजभवन मार्च के दौरान लालू सफेद रंग की खुली जिप्सी में सवार हुए। जिप्सी के सामने आने वाले मीडियाकर्मी और समर्थकों को लालू बोल रहे थे, ‘हटो, हटो, हटो सामने से, हटो।’ लालू की गाड़ी के सामने लगी भीड़ को हटाने के लिए सुरक्षा बल को काफी मशक्कत करनी पड़ी। समर्थक पीछे-पीछे ‘लालू प्रसाद जिंदाबाद’ के नारे लगाते आगे बढ़ते रहे। एक समर्थक टमटम से पहुंचा तो कोई ढोल नगाड़े के साथ वहां मौजूद रहा। इस दौरान समर्थकों को संबोधित करते हुए लालू ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैकवर्ड विरोधी हैं। वह जातीय जनगणना लागू नहीं करना चाहते। राजद सड़क इसे लेकर सदन तक आंदोलन करेगा। जातीय जनगणना को लागू करवाने के लिए किसी हद तक जाएंगे। ठान लिया है कि समाज के सबसे निचले पायदान पर रहने वालों को असल आजादी दिलाकर रहेंगे। 13 जुलाई को राजभवन मार्च से आंदोलन का आगाज कर रहे हैं। शीघ्र ही बिहार बंद का एलान करेंगे।’ विशेष संवाददाता इन्द्र भूषण से बातचीत में राजद अध्यक्ष ने कई बातें कहीं। लालू : क्या अंग्रेज बेवकूफ थे, जिन्होंने 1931 में जातीय जनगणना करवाई? उनकी मंशा सही थी। किस जाति के लोगों की सामाजिक और आर्थिक हैसियत क्या है, संपूर्ण विकास के लिए जानना जरूरी है। वैसे ही देश की आजादी के 64 साल में हुए विकास से किस जाति को कितना फायदा मिला, इसकी सही परख वर्तमान जातीय-सामाजिक-आर्थिक जनगणना से ही संभव है। इस सर्वेक्षण से जातियों के आरक्षण के प्रतिशत पर भी असर पड़ना तय है। ऐसा है तो इसे रोका क्यों गया है? लालू : भाजपा पिछड़ों-दलितों-आदिवासियों की शुरू से ही विरोधी रही है। मंडल आयोग की सिफारिशों को दबाने के लिए कमंडल रथ निकाला था। उसी कमंडल रथ के पायलट रहे आज के पीएम नरेंद्र मोदी अब जातीय जनगणना को लागू नहीं करना चाहते हैं। वे बैकवर्ड विरोधी हैं। वे चाहते हैं कि जो पहले से आगे हैं, वे ही और आगे जाएं। वे जानते हैं कि जातीय जनगणना से आम जनता जान जाएगी कि समाज में किस तबके के कितने लोग हैं और उनके हालात कैसे हैं। इसका समाज को क्या फायदा मिलेगा? लालू : जातियों की असल संख्या सामने आएगी तो देश के बजट में उनकी हिस्सेदारी मिलेगी। उत्थान के लिए बजटीय प्रावधान करना ही पड़ेगा। यह पता चलेगा कि देश के 51 फीसदी दिहाड़ी मजदूर में किन जातियों के लोग है। गांवों में रहने वाली हर तीन में एक फैमिली के पास जमीन नहीं है और मजदूरी करके पेट भरते हैं। 2.37 करोड़ गांवों में रहने वाले परिवार कच्ची दीवार वाले एक कमरे के घर में रहते हैं। 24.39 करोड़ परिवार में से 17.91 करोड़ गांवों में रहते हैं। यह पता चल जाएगा कि ये सब किन जातियों के हैं। यह हकीकत भी सामने जाएगी किन जातियों के 14% घर सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों के कारण चल रहे हैं। राजद ने सड़क से आंदोलन की शुरुआत कर दी है। लागू करवाने के लिए सदन तक लड़ाई होगी। सोमवार को राजभवन मार्च होगा। गांव-गांव में धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम बनाया जा रहा है। बिहार बंद करेंगे। जरूरत पड़ी तो जेल भरो आंदोलन भी करेंगे। भाजपा को जातीय जनगणना लागू करना ही होगा। वह चाहकर भी इसे रोक नहीं पाएगा। विधानसभा के चुनावी प्रचार में एक-एक व्यक्ति को बताएंगे कि भाजपा कितनी शातिर है। वे कोई कृपा नहीं करेंगे। अब सिर्फ 2-3 रुपए किलो गेहूं-चावल देकर जनता को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।

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