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जानिए किस दिन पड़ रहा है सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध मुहूर्त

हिंदु धर्म के अनुसार हर साल 15 दिन के लिए श्राद्ध किए जाते हैं। श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों का पिंडदान किया जाता है। यदि हम उनके लिए श्राद्ध में खुद खाने से पहले उनका खाना निकलते हैं श्राद्ध जब किया जाता है तो हम पितरों की आत्मा को शंति देते है। श्राद्ध एक ऐसा पवित्र पिंडदान है जब हम अपने पूर्वजो का अशीर्वाद लेते हैं और उनकी कृपा सदा हमारे ऊपर ऐसे ही बरकरार रहे।श्राद्ध पक्ष में आश्विन अमावस्या पितृगण के निमित विशेष पर्व है, जिसमें पितृ के लिए पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध आदि करके व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्ति पा सकता है। जब हम पूरे विधि विधान से अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं तो हम पितृदोष से मुक्त हो जाते हैं। कभी -कभी होता ऐसा है कि जो व्यक्ति पूरे श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध करना किसी वजह से भूल जाए या नहीं कर पाएं तो वह आश्विन अमावस्या में पूरे विधि अनुसार श्राद्ध करके वह ग्यारह पितृ श्रापो से मुक्ति पा सकते हैं। आश्विन अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या, पितृ विसर्जनी व महालय विसर्जन नामों से भी जाना जाता है। आज हम आपको सर्वपितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त बताएंगे।

सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध मुहूर्त-

-सर्वपितृ अमावस्या का पर्व मंगलवार दी॰ 19.09.17 को मनाया जाएगा।
-इस दिन मध्यान व्यापीनी अमावस्या तिथि मंगलवार दी॰ 19.09.17 को दिन 11:52 से प्रारंभ होकर बुधवार दी॰ 20.09.17 को प्रातः 10:59 तक रहेगी।
-चंद्रमा सिंह राशि व पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में रहेगा।
-राहुकाल शाम 15:16 से लेकर शाम 16:46 तक है जिसमें श्राद्ध वर्जित है। ऐसे में व्यवस्था है कि राहुकाल से बाद तर्पण व पिण्डदान करें।
-श्राद्ध हेतु श्रेष्ठ तीन मुहूर्त हैं, कुतुप दिन 11:52 से दिन 12:41 तक, रौहिण दिन 12:41 से दिन 13:30 तक, अपराह्न दिन 13:30 से शाम 15:50 तक।
-अभिजीत महूर्त दिन 11:50 से दिन 12:38 तक। अतः श्राद्धकर्म तर्पण व पिण्डदान हेतु श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा दिन 11:52 से लेकर दिन 12:38 तक।

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