जीवनशैली
जानिए साउथ में क्यों केले के पत्तों पर सर्व किया जाता है खाना
दक्षिण भारत में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार घर आने वाले मेहमानों को केले के पत्तों पर खाना खिलाया जाता है. बता दें कि साउथ इंडिया में आज भी ऐसे कई रेस्टोरेंट्स हैं जहां खाना केले के पत्तों पर सर्व किया जाता है. केवल साउथ इंडिया में ही नहीं बल्कि भारत के कई अन्य राज्यों में भी ऐसे रेस्टोरेंट्स हैं.आइए हम आपको बताते हैं कि क्या है इसके पीछे का कारण.– केले के पत्ते बहुत हेल्दी होते हैं. इन पत्तों पर भोजन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. पत्तों पर खाना सर्व करने से इसमें मौजूद तत्व खाने में मिलकर इसे हेल्दी बनाते हैं. पत्तों के एंटी बैक्टीरियल गुण खाने में मौजूद कीटाणुओं को भी खत्म कर देते हैं और शरीर को कई बीमारियों से बचाते हैं.
– केले के पत्ते हाइजिनिक होते हैं. इन पर भोजन करना हाइजिनिक माना जाता है. खाने से पहले इन्हें एक बार पानी से धोना होता है. खाने के बाद इन्हें धोने या साफ करने की जरूरत नहीं होती है.
– केले के पत्तों में केमिकल नहीं होता है. इन्हें साबुन से धोने की भी जरूरत नहीं होती है क्योंकि खाने के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है.
– केले के पत्ते ईको-फ्रेंडली होते हैं यानी पर्यावरण के अनुरूप. खाने के बाद जब इन्हें फेंका जाता है तो ये बहुत ही कम समय में गलकर खाद में बदल जाते हैं.
– केले के पत्तों पर भोजन परोसने पर स्वाद भी बढ़ जाता है. जब गर्मागर्म खाना परोसा जाता है तब पत्तों में मौजूद नैचुरल वैक्स की कोटिंग पिघलकर खाने में मिक्स हो जाती है जो खाने की स्वाद को और भी बढ़ा देती है.
– इसमें खाने का एक फायदा यह भी है कि पत्ते के बड़े होने की वजह से बिना किसी झंझट के एकसाथ ही पूरा खाना आसानी से सर्व हो जाता है.इसकी वैक्स कोटिंग की वजह से इसपर ग्रेवी वाली सब्जी भी आसानी से सर्व की जा सकती है.
– केले के पत्ते हाइजिनिक होते हैं. इन पर भोजन करना हाइजिनिक माना जाता है. खाने से पहले इन्हें एक बार पानी से धोना होता है. खाने के बाद इन्हें धोने या साफ करने की जरूरत नहीं होती है.
– केले के पत्तों में केमिकल नहीं होता है. इन्हें साबुन से धोने की भी जरूरत नहीं होती है क्योंकि खाने के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है.
– केले के पत्ते ईको-फ्रेंडली होते हैं यानी पर्यावरण के अनुरूप. खाने के बाद जब इन्हें फेंका जाता है तो ये बहुत ही कम समय में गलकर खाद में बदल जाते हैं.
– केले के पत्तों पर भोजन परोसने पर स्वाद भी बढ़ जाता है. जब गर्मागर्म खाना परोसा जाता है तब पत्तों में मौजूद नैचुरल वैक्स की कोटिंग पिघलकर खाने में मिक्स हो जाती है जो खाने की स्वाद को और भी बढ़ा देती है.
– इसमें खाने का एक फायदा यह भी है कि पत्ते के बड़े होने की वजह से बिना किसी झंझट के एकसाथ ही पूरा खाना आसानी से सर्व हो जाता है.इसकी वैक्स कोटिंग की वजह से इसपर ग्रेवी वाली सब्जी भी आसानी से सर्व की जा सकती है.