जीका के खतरे को देखते हुए केरल में हाई अलर्ट, कर्नाटक भी सतर्क, विशेषज्ञों ने कहा-डरे नहीं सावधान रहें
नई दिल्ली। केरल में जीका वायरस के 14 मामले सामने आने पर राज्य के स्वास्थ्य विभाग को हाई अलर्ट पर रखा गया है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि स्थिति की बारीकी से नजर रखी जा रही है। वहीं कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस मच्छरजनित बीमारी पर नियंत्रण रखने के लिए तेजी से कदम उठाएं। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक केरल की सीमा से लगे दक्षिण कन्नड़, उडुपी, चामराजनगर जिलों में और अधिक सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
कर्नाटक के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा आयुक्तालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पड़ोसी राज्य केरल में जीका के मामले सामने आने के बाद कर्नाटक में भी मच्छर जनित बीमारियों पर नियंत्रण के लिए तेजी से कदम उठाने की जरूरत है। यह मौसम एडीज मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल होता है। एडीज मच्छर डेंगू, चिकुनगुनिया और जीका वायरस के फैलने के लिए जिम्मेदार होता है।
कर्नाटक सरकार की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान माइक्रोसेफली की मौजूदगी देखने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। वहीं जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. मैथ्यू वर्गीस का कहना है कि जीका वायरस संपर्क या एरोसोल से नहीं फैलता है। यह मच्छरों द्वारा फैलता है। इसका अलग महामारी विज्ञान है। महामारी विज्ञानियों और केरल लोक स्वास्थ्य विभाग को कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए लोगों को अफरातफरी नहीं मचाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि केरल में जीका वायरस की स्थिति पर नजर रखने और मामलों के प्रबंधन में राज्य सरकार की मदद करने के लिए विशेषज्ञों का छह सदस्यीय केंद्रीय दल रवाना किया गया है। जीका के लक्षण डेंगू की तरह ही होते हैं जिनमें बुखार, त्वचा पर चकत्ते और जोड़ों में दर्द होना शामिल है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज का कहना है कि जीका संक्रमण की रोक-थाम के लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया है। गर्भवती महिलाओं को बुखार होने पर उनकी जांच कराई जानी चाहिए। सभी 13 संक्रमित तिरुवनंतपुरम के निजी अस्पताल में काम करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं।