नई दिल्ली (एजेंसी) । सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका खारिज कर दी जिसमें आंध्र प्रदेश को विभाजित कर नए तेलंगाना राज्य के निर्माण के मंत्रिमंडल के फैसले को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति एच.एल.दत्तू और न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर की खंडपीठ ने कहा ‘‘हम इस याचिका को खारिज करते हैं। बहरहाल हम स्पष्ट कर दें कि याचिका में उठाया गया कानूनी सवाल रिट याचिका के माध्यम से उपयुक्त मंच पर उठाए जाने की अनुमति है।’’ सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दत्तू ने याचिकाकर्ताओं से कहा ‘‘यह केवल मंत्रिमंडल का फैसला है। यह याचिका अपरिपक्व है। हमें यह नहीं पता कि राज्य की विधायिका और संसद के दिमाग में क्या है और वे क्या करने वाले हैं।’’ याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील रोहिंटन नरीमन ने आंध्र प्रदेश को विभाजित करने के तीन अक्टूबर 2०13 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले को गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि संसद में राज्य को विभाजित करने वाले विधेयक को पेश करने के समय संघीय प्रावधानों का पूरी तरह पालन नहीं किया गया। नरीमन ने कहा कि अनुच्छेद 3 के तहत इस बारे में राज्य विधानसभा के रुख को ध्यान में रखना चाहिए लेकिन राज्य विधानसभा का रुख अभी तक नहीं लिया गया है। सरकार संघवाद के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही है और यह जनहित याचिका इसी को उजागर करती है।