चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंड्स्ट्री (CTI) ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर जीएसटी के 28 प्रतिशत लक्जरी स्लैब वाली चीजों पर किसान सेस लगाने के विचार का विरोध किया है. CTI का कहना है कि अगर केंद्र सरकार ऐसा करती है तो यह सरासर गलत होगा, क्योंकि यह जीएसटी के मूल नियम के विरोध में भी है.
CTI के कन्वीनर बृजेश गोयल ने अपने पत्र में मीडिया में आई एक ख़बर का हवाला दिया है. गोयल के मुताबिक ऐसा सुनने में आ रहा है कि केंद्र सरकार लग्जरी स्लैब में आने वाली 28 प्रतिशत जीएसटी की आइटमों पर अलग से 2 से 5 प्रतिशत तक किसान सेस भी लगाने की तैयारी में है.
पत्र में लिखा गया है कि देश के किसानों को आर्थिक तौर पर मदद करने के इरादे से केंद्र सरकार सेस लगाने पर चर्चा कर रही है, लेकिन व्यापारियों को इस पर आपत्ति है.
CTI के महासचिव रमेश आहूजा का कहना है कि जीएसटी के तहत लक्जरी स्लैब 28 प्रतिशत का व्यापारी पहले से ही विरोध करते आ रहे हैं, क्योंकि लग्जरी स्लैब में सरकार ने कई ऐसी वस्तुओं को भी शामिल किया हुआ है, जो आम लोगों की जरूरत का भी हिस्सा हैं. जैसे- आटो पार्ट्स, टू वीलर पार्ट्स, सीमेंट, पेंट, वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर, वैक्युम क्लीनर.
व्यापारियों का मानना है कि अगर 28% जीएसटी की श्रेणी में आने वाले इन चीजों पर अलग से किसान सेस लगाया गया तो ये सभी चीजें और महंगी हो जाएंगी जिसका असर न केवल व्यापारी बल्कि आम आदमी पर भी पड़ेगा.
CTI की तरफ से अरुण जेटली को पत्र लिखते हुए मांग की गई है कि अगर किसान सेस लगाना ही है तो उन वस्तुओं पर लगाया जाए जो सिन आइटम की श्रेणी में आती हैं, जैसे सिगरेट और तंबाकू.