राजधानी देहरहादून में घर बना रहे लोगों की जेब पर और बोझ बढ़ सकता है। बरसात से पहले खनन बंद होने से रेत-बजरी के दामों में करीब 25 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके अलावा अक्तूबर में खनन पट्टे शुरू होने थे, लेकिन कोई ठेकेदार इन पर काम करने को तैयार नहीं हो रहा है। सप्लाई और स्टॉक कम होने से रेत-बजरी के दाम और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। दरअसल, देहरादून जिले में प्रशासन ने छह खनन के पट्टे जारी किए थे। इन पट्टों पर हमेशा बरसात के शुरू में खनन बंद कर दिया जाता है, लेकिन इस साल मार्च-अप्रैल में ही इन्हें बंद करना शुरू कर दिया था।
ठेकेदारों का तर्क है अब खनन करना मुनाफे का सौदा नहीं रहा। लिहाजा, जिले में रेत-बजरी की सप्लाई घट गई है। बहुत हद तक यमुना नदी (हिमाचल प्रदेश) से खनन सामग्री देहरादून में सप्लाई की जा रही है।
दूर से माल आने के कारण इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ रहा है। मई-जून में रेत-बजरी के दाम जहां 85-90 रुपये प्रति कुंतल थे, वहीं अब अच्छा मटीरियल 115 रुपये प्रति कुंतल के आसपास पहुंच गया है।
नए कानून का भी असर
उधर, अब सरकारी पट्टों पर दोबारा से खनन शुरू किया जाना है। एक अक्तूबर से जिलों के पट्टों को आवंटित किया जाना है, लेकिन सूत्रों की मानें तो अभी तक कोई ठेकेदार इसमें रुचि नहीं ले रहा है। प्रशासन मंथन कर रहा है कि किस तरह इन पट्टों पर काम शुरू कराया जाए, जिससे राजस्व भी मिले और लोगों को निर्माण सामग्री सस्ती मिले।
चूंकि बरसात में निर्माण कार्य धीमा होता है। इससे सामग्री की भी कम जरूरत होती है। इसकी यमुना नदी और इसके आसपास की नदियां खनन सामग्री की पूर्ति कर देती है। अब मोटर वाहन अधिनियम कड़ा होने से कोई वाहन चालक सड़क पर नहीं उतर रहा है। मसलन, यदि किसी के वाहन में कोई थोड़ी भी कमी है तो वह सड़क पर उतरने से साफ मना कर दे रहा है। इससे भी खनन सामग्री कम आने से दामों में बढ़ोतरी हो रही है।
पट्टों पर खनन शुरू कराने की तैयारी चल रही है। हर बार एक अक्तूबर से इन पर काम शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार इसे पहले भी शुरू किया जा सकता है। इस संबंध में डीएम ने भी खनन विभाग के साथ बैठक की थी।
-रामजीशरण शर्मा, एडीएम प्रशासन