नागरिकता कानून: बांग्लादेश ने प. बंगाल के मंत्री को वीजा देने से किया मना
पश्चिम बंगाल के मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी का कहना है कि उन्हें अपनी छह दिनों की बांग्लादेश यात्रा को रद्द करना पड़ा है क्योंकि उन्हें वीजा देने से मना कर दिया गया है। सिद्दीकुल्ला की यह यात्रा गुरुवार से शुरू होनी थी। वह जमीयत-ए-उलेमा हिंद के बंगाल अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि यह उनकी पूरी तरह से निजी यात्रा थी। जिसे पश्चिम बंगाल की सरकार और विदेश मंत्रालय की तरफ से मंजूरी मिली थी। हालांकि बांग्लादेश के एक वरिष्ठ डिप्टी हाई कमीशन अधिकारी ने वीजा रद्द करने के दावे को न तो स्वीकार किया और न ही इनकार। उन्होंने केवल इतना कहा कि ढाका से जरूरी क्लीयरेंस अभी तक हमारे कोलकाता स्थित दफ्तर नहीं पहुंचा है। सिद्दीकुल्ला ने 23 दिसंबर को वीजा के लिए आवेदन किया था। अधिकारी ने कहा, ‘हम कुछ मामलों में आवश्यक मंजूरी पाने के लिए ढाका के लिए वीजा आवेदनों को अग्रेषित करते हैं। ढाका से क्लीयरेंस अभी तक कोलकाता दफ्तर नहीं पहुंचा है। हमारा दफ्तर बुधवार को क्रिसमस के कारण बंद था।’
तृणमूल के अंदर नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ आवाज उठाने वालों में सिद्दीकुल्ला भी एक हैं। माना जा रहा है कि बांग्लादेश इस मामले पर तटस्थ रहना चाहता है। इसी कारण उसने मंत्री को वीजा नहीं दिया। सिद्दीकुल्ला का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय को अपनी यात्रा के बारे में पांच दिसंबर को जानकारी दे दी थी और उन्हें आठ दिसंबर को मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार से इजाजत मांगी थी जो उन्हें 13 दिसंबर को मिल गई थी।
इसके बाद उन्होंने अपने सेक्रेटरी की मदद से वीजा के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। मंत्री ने कहा, ‘मेरा स्टाफ तीन बार वीजा कार्यालय गया था।’ सिद्दीकुल्ला ने उन परिस्थितियों के बारे में बताया जिसके कारण उनके लिए यात्रा करना जरूरी था। उन्होंने कहा, ‘ढाका में रहना वाला मेरा कजिन कैंसर से पीड़ित है। सिलहट में एक रिश्तेदार की हाल ही में मौत हुई है। मुझे सिलहट में एक मदरसे के शताब्दी समारोह के लिए भी आमंत्रित किया गया था। मैं वहां अपनी पत्नी, बेटी और नातिन के साथ जाने वाला था। बांग्लादेश डिप्टी हाई कमीशन को सब कुछ बताया गया था।’