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नोटबंदी BJP सरकार के लिए नहीं बना गलत फैसला, मिली एक के बाद एक जीत

आठ नवंबर 2016 और शाम आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए 1000 और 500 रुपये के नोट को बंद करने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री के नोटबंदी के ऐलान के बाद देश में अफरातफरी का माहौल हो गया था. सत्ताधारी बीजेपी ने इसे कालेधन के खिलाफ कार्रवाई बताया था, तो विपक्षी दलों ने नोटबंदी के खिलाफ अभियान चलाया. नोटबंदी के चंद दिनों बाद देश के कई राज्यों में नगर निकाय और विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने एक के बाद एक जीत हासिल की और विपक्ष दलों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा.

नोटबंदी BJP सरकार के लिए नहीं बना गलत फैसला, मिली एक के बाद एक जीत

नगर निकाय चुनावों में बीजेपी को फायदा

नोटबंदी के चंद दिनों के बाद नवंबर के महीने में ही गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ नगर निकाय चुनाव हुए. विपक्षी दल नोटबंदी को मुद्दा बनाकर जीत हासिल करने का ख्वाब देख रहे थे. लेकिन जब चुनावी नतीजे आए तो विपक्ष के सपने साकार नहीं हो सके. बीजेपी को नोटबंदी का सियासी फायदा मिला. इन राज्यों में बीजेपी को पहले से ज्यादा बड़ी जीत हासिल हुई. इस जीत पर बीजेपी ने कहा कि देश की जनता ने नरेंद्र मोदी के फैसले पर मुहर लगाने का काम किया.

गुजरात में कांग्रेस को नुकसान बीजेपी फायदा

गुजरात के 126 सीटों के नगर निकाय चुनाव के नतीजे नोटबंदी के 19 दिन बाद 27 नवंबर को आए. बीजेपी ने 126 नगर निकाय की सीटों में से 109 पर जीत हासिल की और कांग्रेस को महज 17 सीटें मिली. जबकि 2011 के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी के पास 64 सीटें थी तो कांग्रेस को 52 थी. इस तरह कांग्रेस को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा और बीजेपी को काफी बढ़त मिली.

महाराष्ट्र में बीजेपी की जबरदस्त जीत

महाराष्ट्र के 3727 नगर निकाय सीटों में से बीजेपी ने 893 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि 2011 में उसके पास 298 सीटें थीं. वहीं कांग्रेस और एनसीपी को नुकसान उठाना पड़ा. कांग्रेस 771 से घटकर 727 पर आ गई और एनसीपी 916 से घटकर 615 पर आ गई. इसी तरह चढ़ीगढ़ के नगर निकाय चुनाव में भी बीजेपी को फायदा मिला. चंडीगढ़ की 126 नगर निकाय सीटों में से 20 पर जीत दर्ज की और उसके गठबंधन के सहयोगी अकाली दल को भी एक सीट मिली.

विधानसभा चुनाव में मिला बीजेपी को फायदा

नोटबंदी के चार महीने के बाद ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड पंजाब. गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव हुए. बीजेपी ने इन राज्यों में से दो राज्यों में प्रचंड जीत हासिल की. उत्तर प्रदेश में नोटबंदी का मुद्दा इस कदर हावी रहा कि सपा, बसपा सहित कांग्रेस ने हर चुनावी रैलियों में उठाया. लेकिन नतीजा इन सभी के खिलाफ गया. बीजेपी को नोटबंदी का फायदा मिला और चौथे पायदान से पहले पर पहुंच गई. बीजेपी ने रिकॉर्ड सीटों के साथ जीत हासिल की.

यूपी में मिली बीजेपी को ऐतिहासिक जीत

यूपी में बीजेपी की जबरदस्त आंधी में दूसरे दल उड़ गए. बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 403 सीटों में 324 हासिल की. इनमें से बीजेपी ने अकेले दम पर 311 सीटें जीती, जबकि अपना दल (सोनेलाल) ने 9 सीटें जीती, और भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी को 4 सीटें हासिल हुई. यूपी में बीजेपी का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. यूपी की जनता ने न सिर्फ अखिलेश के ‘काम बोलता है’ को नकार दिया, बल्कि उन्हें नोटबंदी के विरोध करने का भारी नुकसान उठाना पड़ा.  कुल 403 सीटों में से 324 पर बीजेपी गठबंधन, 54 पर एसपी-कांग्रेस गठबंधन, 19 पर बीएसपी और 6 सीटें अन्य के खाते में गई हैं.

उत्तराखंड में सत्ता में हुई वापसी

उत्तराखंड में भी बीजेपी का नोटबंदी का सियासी फायदा मिला. बीजेपी ने राज्य की कुल 70 सीटों 56 सीटों पर जीत हासिल की है वहीं कांग्रेस को 11 सीटों से संतोष करना पड़ा. हालत ये रही कि दो सीटों से चुनाव लड़ने वाले मुख्यमंत्री हरीश रावत दोनों ही जगह से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

गोवा में कम सीटों के बाद भी सरकार

गोवा का कुल 40 सीटों में से कांग्रेस के खाते में 17 सीटें गई जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी को 13 सीटें ही मिली. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी और गोवा फॉरवर्ड पार्टी को तीन-तीन सीटें मिली. इसके बावजूद बीजेपी गोवा में सरकार बनाने में सफल रही.

मणिपुर में पहली बार बीजेपी सरकार

मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 21 सीटें मिली और कांग्रेस को 28 सीटें. नगा पीपुल्स फ्रंट और नेशनल पीपुल्स पार्टी को चार-चार सीटें मिली वहीं लोक जनशक्ति पार्टी को भी एक सीट मिली. जबकि 2012 के चुनाव में कांग्रेस को 47 सीटें मिली थी. इस तरह कांग्रेस को 19 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. बीजेपी ने 21 सीटें जीतकर सरकार बनाने में सफल रही.विपक्ष के तमाम अभियानों के बावजूद मोदी नोटबंदी और जीएसटी को बड़ा सुधार बताते हैं और इसे कालेधन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक तक बताते हैं. बीजेपी चुनावों में जीत को उनके इस कदम को जनता की मुहर होने का दावा करती है.

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