बीएसएफ में सहायक सेनानी एवं मुनस्यारी के बुंगा गांव निवासी पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशक्तू के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम ने शनिवार को एवरेस्ट फतह करने में कामयाबी हासिल कर ली।
लवराज छठी बार एवरेस्ट पर चढ़ने वाले देश के पहले पर्वतारोही बन गए हैं। भारतीय पर्वतारोहण संस्थान और ओएनजीसी के इस एवरेस्ट अभियान दल को 27 मार्च को नई दिल्ली में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
मुनस्यारी के पंडित नैनसिंह पर्वतारोहण संस्थान में विशेष कार्याधिकारी के पद पर कार्यरत लवराज की पत्नी एवं प्रख्यात पर्वतारोही रीना कौशल धर्मशक्तू ने भारतीय पर्वतारोहण संस्थान से मिली जानकारी के आधार पर बताया कि उपने पति लवराज एवं धारचूला निवासी ओएनजीसी के इंजीनियर योगेंद्र गर्ब्याल ने सुबह 6:10 बजे और उनके दो साथियों एन जोगोई, राहुल जरनगाल ने सुबह 7:45 बजे एवरेस्ट पर पहुंचे।
जिला मुख्यालय में पर्वतारोही पुरमल सिंह धर्मशक्तू ने बताया कि भारतीय पर्वतारोहण संस्थान ने इसकी पुष्टि की है। लवराज ने इससे पहले पहली बार 1998 में, दूसरी बार 2005 में, तीसरी बार 2009 में, चौथी बार 2012 में और पांचवीं बार 2013 में एवरेस्ट फतह की थी।
मुनस्यारी के बुंगा गांव निवासी लवराज को 2003 में तेनजिंग नोरजे नेशनल एडवेंचर अवार्ड और 2014 में पद्मश्री सम्मान मिला। यहां मिली जानकारी में कहा गया है कि अभियान दल के सदस्यों को दो हिस्सों में बांटा गया था। चार सदस्यीय टीम संख्या एक का नेतृत्व पद्मश्री लवराज ने किया।
उधर, धारचूला के गर्ब्यांग गांव निवासी 33 वर्षीय योगेंद्र गर्ब्याल ने पहली बार एवरेस्ट फतह की है। ओएनजीसी दिल्ली में कार्यरत योगेंद्र उर्फ योगेश इससे पहले पायलट रह चुके हैं। योगेंद्र के पिता चंद्र सिंह गर्ब्याल का कुछ वर्ष पहले निधन हो गया था। घर पर मां दमयंती देवी रहती हैं। योगेंद्र की पत्नी रितु गर्ब्याल एसएसबी में डॉक्टर हैं।