पाकिस्तान टूर पर मुशर्रफ ने गांगुली से ऐसा क्या कहा की वो सहम गये…
बात वर्ष 2004 की है। भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान के ऐतिहासिक दौरे पर थी। टीम के कप्तान सौरभ गांगुली को एक फोन आता है। फोन की दूसरी तरफ जनरल परवेज मुशर्रफथे। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति। उनकी बात सुनकर गांगुली ‘सहम’ जाते हैं। अपनी आने वाली आत्मकथा, ‘अ सेंचुरी इज नॉट इंअफ’ में गांगुली उस वाकये को याद करते हुए कहते हैं, ‘वसीम अकरम की खतरनाक इन-कटर का सामना करना ज्यादा आसान था।’
गांगुली कहते हैं, ‘मैंने सुरक्षा अधिकारी को इसकी जानकारी नहीं दी। मैं जानता था कि वह मुझे जाने नहीं देंगे। मैंने सिर्फ टीम मैनेजर रत्नाकर शेट्टी को बताया। मैं पिछले दरवाजे से निकला। मेरे सिर पर टोपी थी और चेहरा आधा ढंका हुआ था। मैं जानता था कि मैं नियम तोड़ रहा हूं। लेकिन मैं इन राइफल्स और टैंक्स से दूर जाना चाहता था।’
‘मुशर्रफ ने मजबूती से कही अपनी बात’
अपनी पहचान छुपाने के लिए गांगुली ने एक तरीका अपनाया। ‘किसी ने मुझसे उत्साहित होकर पूछा, ‘अरे आप सौरभ गांगुली हो ना?’ मैंने आवाज बदलकर कहा, नहीं। उसने अपना सिर हिलाया और बोला, ‘मुझे भी यही लगा। पर आप बिलकुल सौरभ जैसे दिखते हो।’
जल्द ही वहां लोगों का हुजूम जमा हो गया। उन्होंने लिखा, ‘लोग हर ओर आने लगे और मैं फंस गया। मैंने बिल देकर वहां से निकलने की कोशिश की लेकिन दुकानदार ने पैसे लेने से इनकार कर दिया। वह यह कहता रहा, बहुत अच्छा। हमें पाकिस्तान में भी आप जैसा आक्रामक कप्तान चाहिए।’
अभी काफी कुछ होना बाकी थी। गांगुली ने लिखा, ‘जब हम होटल लौट रहे थे तो एक मोटरसाइकल सवार ने हमारा पीछा किया। बाइक सवार बार-बार मुझे अपना शीशा नीचे करने को कहता रहा लेकिन मेरे सहयात्री ने मुझे ऐसा करने से मना किया। उसे डर था कि कहीं बाइक सवार के पास बम न हो। मुझे हालांकि कोई खतरा नजर नहीं आया और मैंने शीशा नीचे कर दिया।। उसने अपना हाथ बढ़ाया और फूड स्ट्रीट के दुकानदार की बात दोहरायी, ‘मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं। पाकिस्तान को भी आप जैसे कप्तान की जरूरत है।’ सीरीज में हार का औसत पाकिस्तानी फैन के लिए बड़ा झटका था।’