पाकिस्तानी आतंकियों के शवों को ‘चुपचाप’ दफनाए जाने से घाटी में हिंसा
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/श्रीनगर: हाल ही में जम्मू कश्मीर सरकार ने पाकिस्तानी आतंकवादियों के शवों को चुपचाप दफनाने का काम शुरू किया है। इस निर्णय ने घाटी के कुछ हिस्सों में संघर्ष की स्थिति खड़ी कर दी है। इस वजह से उत्तर कश्मीर के बांदीपुरा जिले के हाजिन गांव में लगातार तीन दिन तक मुठभेड़ चलती रही। प्रदर्शनकारी, लश्कर-ए-तैयबा के उन तीन आतंकियों के शव की मांग कर रहे हैं जो गुरुवार को 12 घंटे की लंबी मुठभेड़ में मारे गए थे। बाद में इन आतंकियों के शवों को सीमा रेखा के करीब किसी अज्ञात जगह पर दफना दिया गया।
भीड़ कम करने के लिए फैसला
गौरतलब है कि पिछले 20 सालों से पाकिस्तान और अन्य देशों से आए कई हज़ार आतंकी जब कश्मीर में मारे जाते थे तो उन्हें स्थानीय इलाकों में मौजूद 500 शमशानघाटों में से किसी एक में दफना दिया जाता था। लेकिन पिछले कुछ महीनों से पुलिस ने यह काम चुपचाप करना शुरू कर दिया है। सूत्रों की माने तो इस तरह का कदम अंतिम संस्कार पर इकट्ठा होने वाली भीड़ को कम करने के लिए उठाया गया है जो अक्सर हिंसक रूप ले लेती है। हालांकि इस मसले से जुड़ी संवेदनशीलता को मद्देनज़र रखते हुए स्थानीय राजनीतिक पार्टियों को डर है कि इस फैसले से भी कहीं किस तरह की हिंसा न भड़क उठे।
जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता ज़ुनैद मट्टु ने बताया ‘मैं उम्मीद करता हूं कि जैसा भी नीतिगत फैसला हो, वह घाटी में व्याप्त उस शांति को ध्यान में रखकर लिया जाए जो कभी भी डगमगा सकती है। वहीं पुलिस का कहना है कि उन्हें कानून का पालन करना है। उत्तर कश्मीर के डिप्टी आईजी गरीब दास ने कहा ‘हम लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि कानून के हर प्रावधान का पालन किया जा रहा है। क्योंकि नियम के मुताबिक शवों का दावा करने के लिए कोई आगे नहीं आया है इसलिए पुलिस को ही इन्हें दफनाने का काम करना होगा।’