उत्तराखंड

पीएम मोदी का ये फैसला दृष्टिहीनों के लिए मुसीबत बना

1449750836पीएम मोदी के पुराने नोट बंद करने वाले फैसले से लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। नोटबंदी का आज 35वां दिन है। बैंक लोगों को 2000 के नए नोट दे रही है। वहीं इस नोट से सबसे ज्यादा दिक्कत दृष्टिहीन लोगों को हो रही है

नोटबंदी के बाद सामने आ रही है ये समस्या

नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक की ओर से जारी की गए 2000 रुपये के नोट को दृष्टिहीन 20 और 500 रुपये को 10 रुपये का समझ रहे हैं। यह समस्या नोट के छोटे साइज की वजह से आ रही है।

अब तक प्रचलित भारतीय नोटों की खासियत यह रही है कि मूल्य बढ़ने के साथ-साथ उनकी साइज भी बढ़ती जाती थी। दृष्टिहीन इसी साइज के आधार पर नोटों की कीमत का अनुमान लगाते थे। दृष्टिहीनों को इन नए नोटों से परिचित कराने के क्रम में राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संस्थान(एनआईवीएच) में यह समस्या सामने आई है। संस्थान ने इस बाबत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी पत्र लिखा है।

अमर उजाला ने दृष्टिबाधितों के बीच इस समस्या को प्रायोगिक तौर पर देखा। उन्होंने 20 दृष्टिबाधितों के समूह में सोमवार को 20, 50, 100 और 2000 के नोट वितरित किए गए और उनसे पूछा गया कि उनके पास कितने-कितने मूल्य के नोट हैं। सभी दृष्टिबाधितों ने 2000 रुपये को दस या बीस रुपये ही बताया।

इस मौके पर 500 रुपये का नोट न उपलब्ध होने की वजह से उसका अनुमान नहीं लगवाया जा सका। हालांकि एनआईवीएच इंटर कॉलेज के प्राचार्य कुलबीर सिंह ने बताया कि दृष्टिबाधितों को जब 500 रुपये के नए नोट दिए गए थे, उनमें से कुछ ने उसे 10 तो कुछ ने 20 रुपये के रूप में पहचाना।

बता दें कि राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संस्थान(एनआईवीएच) दृष्टिबाधितों के लिए देश का जाना-माना केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान है। इस वक्त यहां देशभर से 500 से ज्यादा दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित ट्रेनिंग ले रहे हैं।

उन्होंने बताया कि इस संबंध में रिजर्व बैंक को भी पत्र भेजा गया है, ताकि भविष्य में आने वाले नोट ऐसे हों जिन्हें दृष्टिबाधित भी आसानी से पहचान सकें। दृष्टिहीन इन नोटों को हाथ की तर्जनी और मध्यमा अंगुली के बीच रखकर उसका साइज मापते हैं। बड़े नोट को चौड़ाई से जब अंगुलियों के बीच रखा जाता है तो उसमें से कुछ हिस्सा बाहर निकलता है। इससे ही नोट की कीमत का पता लगाया जाता है।

बता दें कि नोटबंदी के फैसले से आम जनता को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।  

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