पीस पार्टी व निषाद पार्टी भी दावेदार
लखनऊ। लोकदल, राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल के अलावा पीस पार्टी भी अन्य छोटे दलों जैसे निषाद (नेशनल इंडियन शोषित हमारा अपना दल), पार्टी व महान दल के साथ हाथ मिलाया है। साल 2012 में पीस पार्टी के टिकट पर खुद इसके मुखिया डा. अय्यूब सहित चार विधायक चुनाव जीते थे लेकिन डा. अय्यूब अपने छोटे से ही कुनबे को नहीं बचा पाये। अब जबकि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बाहुबलियों व दागियों को इस बार टिकट नहीं दिया है तो उन्होंने पीस पार्टी, निषाद पार्टी और महान दल के इस गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में ताल ठोंक दी है। इनमें प्रमुख रूप से बाहुबली विजय मिश्रा भदोही से तो धनंजय सिंह जौनपुर की मलहनी सीट से चुनाव मैदान में हैं। वहीं जौनपुर जिले की शाहगंज सीट से डा. सूर्यभान यादव मैदान में हैं। दिलचस्प बात यह है कि धनंजय सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री पारसनाथ यादव को ललकार रहे हैं तो वही डा. सूर्यभान एक अन्य मंत्री शैलेन्द्र यादव उर्फ ललई यादव को चुनौती दे रहे हैं। वहीं अम्बेडकर नगर जिले की कटेहरी विधानसभा सीट से एक और बाहुबली अजय सिंह सिपाही भी इसी गठबंधन के दम पर विधानसभा की दहलीज लांघने को आतुर हैं। साफ है कि यह गठबंधन बाहुबलियों को खासा भा रहा है।
ऐसी कई और सीटें हैं जहां से छोटे दलों का यह गठबंधन बड़े दलों के लिए मुसीबत का सबब बन रहा है। वहीं अपना दल में मां कृष्णा पटेल और उनकी पुत्री एवं केन्द्र में मंत्री अनुप्रिया पटेल के बीच जंग समाजवादी पार्टी में छिड़ी रार से कम नहीं है। सपा में तो हालफिलहाल सब कुछ शांत होता दिख रहा है लेकिन कृष्णा पटेल और अनुप्रिया के बीच शीत युद्ध जारी है। कृष्णा पटेल ने दावा किया है कि जहां-जहां अनुप्रिया अपने प्रत्याशी खड़ा करेंगी, वहां वे भी अपने प्रत्याशी उतारेंगी। ऐसे में बहुत संभव है कि अनुप्रिया को इसका नुकसान हो क्योंकि दोनों का ही वोट बैंक कुर्मी मतदाता है। इन दलों के अलावा कुछ निर्दलीय प्रत्याशी ऐसे हैं जिनकी दावेदारी खासी मजबूत है। हालांकि श्रीमती कृष्णा दल का दामन बचाने के लिए 150 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार रही हैं। उधर, अनुप्रिया ने अपना दल सोनेलाल के नाम से नई पार्टी बनाकर भाजपा से 13 सीटें लीं हैं। अपना दल ने अपने गठन के ठीक एक वर्ष बाद ही वर्ष 1996 में हुए संसदीय चुनाव में 42 सीटों पर ताल ठोंक दी और उस समय कुल 1.02 प्रतिशत मत मिला।
तीन साल बाद ही हुए वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में 56 सीटों पर लड़े मगर जीते नहीं। इस बीच एक उप चुनाव में प्रतापगढ़ की विश्वनाथगंज विधानसभा सीट पर अब्दुल सलाम हाजी उर्फ मुन्ना को जीत मिली। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में 223 सीटों पर अपना दल लड़ा और तीन विधायक जीते। इन छह वर्षों में अपना दल ने इतना दायरा बढ़ाया कि 17 सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे। वर्ष 2007 विधानसभा चुनाव में अपना दल ने भाजपा के साथ गठबंधन किया और 40 सीटें भाजपा से मिलीं जिसमें खाता नहीं खुला, दल को नुकसान अलग हुआ, बल्कि 13 सीटों पर द्वितीय स्थान पर रहे। वर्ष 2012 में पीस पार्टी और बुंदेलखंड विकास दल के साथ हुए गठबंधन में 139 सीटों पर लड़े जिसमें वाराणसी जिले की रोहनियां सीट से डा. सोनेलाल पटेल की बड़ी बेटी अनुप्रिया पटेल ने जीत दर्ज की। कुल मिलाकर इन सभी दलों की प्राथमिकता है कि किसी तरह इनका अस्तित्व कायम रहे।