दस्तक-विशेष

पूर्वोत्तर में भी खिला कमल

संजीव कलिता
asom bjpमिशन-84 के पने लक्ष्य को धमाकेदार अंदाज में पूरा करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व मित्रगुट ने राज्य की सीटों पर अपनी जीत का परचम लहरा दिया है। घोषित सभी 126 सीटों में से भाजपा ने 60, अगप ने 14 तथा बीपीएफ ने 12 सीटें जीतंी। इस तरह भाजपा गठबंधन ने 86 सीटें जीतकर पूर्वोत्तर में पहली बार अपनी सरकार बनाने का रास्ता तय कर लिया है। एक सीट निर्दलीय के खाते में तथा किंगमेकर का दंभ भरने वाली एआईयूडीएफ महज 13 सीटों पर ही सिमट गई। 1985 के बाद की अपनी सबसे करारी पराजय में 67 सीटों का दावा करने वाली कांग्रेस कुल 26 सीटों पर सिमट कर रह गई। मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और उनके दो मंत्रियों को छोड़ बाकी सारे मंत्री तथा प्रमुख नेता धराशायी हो गए। कई जिलों में भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। खासतौर से कांग्रेस के गढ़ रहे चाय बागानों में पूरी तरह से भगवा ध्वज लहरा गया है। भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सर्वानंद सोनोवाल माजुली और प्रदेश भाजपा में उनके बाद नंबर दो माने जा रहे हिमंत विश्व शर्मा जालुकबाड़ी से जीत गए। जबकि तिताबर से किसी तरह अपनी प्रतिष्ठा बचाने के बाद श्री गोगोई ने भाजपा के मुकाबले कांग्रेस की पराजय स्वीकार कर ली। सोनोवाल ने भाजपा की जीत को ऐतिहासिक और असम के लोगों की जीत बताया है। यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। पहली बार हिंदीभाषी समाज के तीन प्रतिनिधि अशोक सिंघल ढेकियाजुली से, अशोक सिंघी पूर्वी बिलासीपाड़ा तथा अमरचंद जैन काटीगोरा से विधानसभा में पहुंचे हैं। जीतने वाले प्रमुख नेताओं में अगप के पूर्व अध्यक्ष तथा दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रफुल्ल कुमार महंत, अगप अध्यक्ष अतुल बोरा, पूर्व अध्यक्ष वृंदावन गोस्वामी, फणिभूषण चौधरी, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सिद्धार्थ भट्टाचार्य, अतुल बोरा (सीनियर), चंद्र मोहन पटवारी, प्रशांत फूकन, हितेंद्र नाथ गोस्वामी और अखिल असम छात्र संघ से भाजपा में शामिल हुए तपन गोगोइ आदि शामिल हैं।
हारने वालों में सबसे चौंकाने वाला नाम किंगमेकर का सपना पाले रहे एआईयूडीएफ के प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल का नाम सबसे ऊपर है। उनके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन सिंह घटवार, पृथ्वी मांझी, गोगोई मंत्रिमंडल के शक्तिशाली मंत्री रहे प्रद्युत बरदलै, प्रणति फूकन, एतुवा मूंडा, शरत बरकटकी, गौतम राय, अजित सिंह आदि सहित एक दर्जन से अधिक मंत्री और प्रमुख नेता चुनाव हार गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष अंजन दत्त की पुत्री अंकिता दत्त भी आमगुड़ी क्षेत्र से चुनाव हार गई। राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजे एग्जिट पोल के अनुरूप ही रहे और 15 वर्ष से मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई लगातार चौथी पारी खेलने में नाकाम रहे । अपने 15 वर्षों के कार्यकाल में स्पष्ट निर्णयों और आमतौर पर किसी भी विवाद में न रहने के बावजूद गोगोई कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने और लोगों को उत्साहित करने में विफल रहे। भाजपा ने असम में चुनाव की तैयारी दिल्ली और बिहार में हुई पराजय से पहले से ही शुरू कर दी थी। पार्टी ने राज्य में 126 विधानसभा सीटों के लिए लड़ाई में दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करने के लिए ‘मिशन 84’ का नारा महीनों से दे रखा था। 86 सीटें जीतकर उसने यह हासिल भी कर लिया। भाजपा ने 84 सीटें हासिल करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अगप और बीपीएफ से समझौता किया था।
भाजपा को 2011 के विधानसभा चुनाव में मात्र 5 सीटें ही मिली थी, इस दृष्टि से राज्य में भाजपा की जीत को ऐतिहासिक और अभूतपूर्व माना जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को राज्य की 14 में से 7 सीटें मिली थीं। भाजपा को असम गण परिषद से गठजोड़ करने का फायदा मिला। अगप की पहली बार 1985 में और फिर 1996 में सरकार बनी थी। असम विधानसभा चुनाव 2016 के नतीजों की घोषणा के बाद आखिरकार सर्वानंद सोनोवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और इसके साथ ही वे किसी पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। सर्वानंद के साथ उनके मंत्रिमंडल के 10 मंत्रियों ने भी शपथ ली। इनमें विभागों का भी बंटवारा हो गया है। इन दस मंत्रियों में 8 को कैबिनेट मंत्री और दो को राज्य मंत्री बनाया गया है। इनमें भाजपा के छह और अगप-बीपीएफ के दो-दो विधायक शामिल हैं।
राज्यपाल पीबी आचार्य ने विगत 24 मई को गुवाहाटी के खानापाड़ा में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री पद के लिए सर्वानंद सोनोवाल को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। सोनोवाल के बाद डा. हिमंत विश्व शर्मा, अगप के अतुल बोरा, बीपीएफ की प्रमिला रानी ब्रह्म, भाजपा के परिमल शुक्ल वैद्य, चंद्र मोहन पटवारी, अगप के केशव महंत, भाजपा के रंजीत दत्त और बीपीएफ के रिहन दैमारी ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लिया। अंत में नव कुमार दलै और पल्लव लोचन दास को राज्य मंत्री के रूप में राज्यपाल ने शपथ दिलाई। फिलहाल नए मंत्रियों में विभागों का बंटवारा भी हो गया है।
उल्लेखनीय है कि शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, पार्टी के मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी, वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा, विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह, केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान, शहरी विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू, रेल मंत्री सुरेश प्रभु, परिवहन एवं राजमार्ग तथा जहाजरानी मंत्री नितीन गडकरी, वाणिज्य राज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, कौशल विकास राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी, रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार, शहरी विकास राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा, गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू के अलावा एनडीए से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगड़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जून मुंडा, गुजरात के मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल, गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मी कांत पारेसकर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित नागालैंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी शिरकत किया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
दिसपुर स्थित राज्य सचिवालय में भाजपा की नेतृत्व में बनी सरकार को लेकर राज्यवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। खासकर सर्वानंद सोनोवाल जो कि माजुली विधानसभा सीट से जीतकर आए हैं, को लेकर माजुलीवासियों में काफी उत्साह है। बता दें कि विश्व का एकमात्र नदी द्वीप माजुली अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। ब्रह्मपुत्र माजुली के अस्तित्व पर सवालिया निशान लगा दिया है। अब क्षेत्र से चुनाव जीत मुख्यमंत्री बने सर्वानंद सोनोवाल माजुली जैसे विश्वविख्यात ऐतिहासिक धरोहर को बनाए रखने में कितने सफल होते हैं, आने वाले दिनों में इस पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी। पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के 15 साल के शासन में भी ब्रह्मपुत्र ने माजुली का एक बड़ा हिस्से को अपने में समा लिया। ब्रह्मपुत्र के भूकटाव को रोकने के लिए काफी प्रयास अब तक हुए हैं। करोड़ों खर्च किए जा चुके हैं। बावजूद इसके माजुली के अस्तित्व पर से खतरों के बादल हटे नहीं हैं। ऐसी स्थिति में खुद मुख्यमंत्री सोनोवाल तथा उनकी सरकार के समक्ष माजुली को सुरक्षित बचाए रखने की सबसे बड़ी चुनौती है। यूं तो असम में बाढ़ एवं भूकटाव, घुसपैठ सहित अन्य तमाम समस्याएं हैं लेकिन माजुली के विधायक होने के नाते मुख्यमंत्री सोनोवाल की सफलता का ग्राफ विश्वविख्यात नदी द्वीप के अस्तित्व के साथ जुड़ा हुआ है।तिताबरचुनौती के बावजूद गोगोई की आसान जीत
भले ही पिछले चुनाव की तुलना में जीत का अंतर कम हो गया पर तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने तिताबर से लगातार चौथी बार जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंदी भाजपा के कामाख्या प्रसाद तासा को 17,153 वोटों के अंतर से पराजित किया। मुख्यमंत्री को कुल 60,568 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी कामाख्या प्रसाद तासा को 43,415 वोट पर ही संतोष करना पड़ा। इस सीट पर कांग्रेस व भाजपा के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही थी, मगर चुनावी नतीजों से साफ हो गया कि भाजपा की आंधी के बावजूद मुख्यमंत्री की लोकप्रियता कायम है। चुनावी नतीजों के बाद जहां कांग्रेसी खेमे में जश्न का माहौल था, वहीं भाजपा खेमे में मायूसी छा गई।
सोनोवाल मंत्रिमंडल
मुख्यमंत्री : सर्वानंद सोनोवाल- गृह एवं राजनीतिक, कार्मिक, साधारण प्रशासन (जीएडी), सचिवालय प्रशासन (एसएडी), प्रशासनिक सुधार एवं प्रशिक्षण, चुनाव, जनसंयोग, सीमा इलाका विकास, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, समाज कल्याण, न्यायिक विधाई और कानून, अल्पसंख्यक कल्याण, पहाड़ी इलाका विकास, प्रिंटिंग एंड स्टेशनरी, ऊर्जा, असम समझौता क्रियान्वयण सहित अन्य कई विभाग जो कि मंत्रियों को नहीं दिए गए हैं।
कैबिनेट मंत्री : डा. हिमंत विश्व शर्मा- वित्त, योजना एवं विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, शिक्षा (उच्च/माध्यमिक/प्राथमिक), पर्यटन, हस्तकरघा एवं वस्त्र (केवल खादी एवं ग्रामोद्योग), गुवाहाटी विकास (जीडीडी), सहकारिता और पेंशन एवं लोक शिकायत।
अतुल बोरा- कृषि, बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा, शहरी विकास और नगर विकास।
प्रमिला रानी- ब्रह्म वन एवं पर्यावरण, भूसंरक्षण, जमीनी जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण और खान एवं खनन।
केशव महंत- जल संसाधन, विज्ञान एवं तकनीकी और सूचना प्रोद्योगिकी।
परिमल शुक्ल वैद्य- लोकनिर्माण (सड़क एवं भवन, राष्ट्रीय राजमार्ग), मत्स्यपालन और आबकारी।
रंजित दत्त- सिंचाई, हथकरघा, वस्त्र एवं रेशम (खादी एवं ग्रामोद्योग को छोड़)।
चंद्रमोहन पटवारी- उद्योग एवं वाणिज्य, परिवहन, संसदीय मामलों।
रिहन दैमारी- जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता।
राज्यमंत्री
नव कुमार दलै- पंचायत एवं ग्रामीण विकास, खेल एवं युवा कल्याण, सांस्कृतिक मामलों (स्वतंत्र प्रभार) और समाज कल्याण (मुख्यमंत्री की मदद के लिए राज्यमंत्री)।
पल्लव लोचन दास- श्रम एवं रोजगार, चाय जनजाति कल्याण (स्वतंत्र प्रभार), राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा ऊर्जा (मुख्यमंत्री की मदद के लिए राज्यमंत्री)।

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