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बंगाल: 400 से अधिक परिवार के लोगों ने घंटों तक किया सड़क जाम, बोले- 20 दिनों से नहीं मिला खाना

कोलकाता: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन की तारीख तीन मई तक के लिए बढ़ा दी गई है। बंद के कारण सबसे ज्यादा परेशानी दिहाड़ी मजदूरों और गरीबों को हो रही है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के डोमकल नगर पालिका क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने 20 दिनों से खाना नहीं मिलने का आरोप लगाया है। उन्होंने बुधवार को सुबह तीन घंटे के लिए एक स्टेट हाईवे को जाम कर दिया और प्रदर्शन किया। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि बंगाल में भोजन की कोई कमी नहीं है। गरीबों को मुफ्त में राशन दिया जा रहा था।

बेरहामपुर-डोमकल राज्य राजमार्ग पर प्रदर्शन करने वालों में 400 से अधिक परिवार की महिलाएं और बच्चे शामिल थे। अधिकांश आंदोलनकारियों ने मास्क भी नहीं पहने थे।

आंदोलनकारियों ने स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप करने पर पदर्शन खत्म किया। डोमकल नगर पालिका के अध्यक्ष ने मौके पर पहुंचकर इस बात को स्वीकार किया कि राशन डीलरों ने गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) खंड में खाद्य आपूर्ति का कोटा नहीं बढ़ाया था। प्रत्येक राशन कार्ड धारक को एक महीने में पांच किलो चावल और पांच किलो आटा मिलना चाहिए।

पिछले हफ्ते एचटी से बात करते हुए, राज्य के खाद्य और आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक ने कहा, “बंगाल में चावल की कोई कमी नहीं है। हमारे पास स्टॉक में 9.45 लाख मीट्रिक टन और अन्य चार लाख मीट्रिक टन चावल मिलों में स्टोर हैं। हमारे पास अगस्त तक लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त चावल है। हमारी सरकार भारतीय खाद्य निगम से चावल नहीं खरीदती है। हम किसानों से सीधे खरीदते हैं।” मंत्री ने कहा था कि प्रशासन ने कुछ राशन डीलरों पर दुकानें नहीं खोलने या लोगों को पूरा कोटा नहीं देने के कारण कार्रवाई भी की है।

डोमकल नगरपालिका के वार्ड नंबर 10 के निवासी महादेव दास ने कहा, “हमारे क्षेत्र के राशन डीलर दुलाल साहा ने पिछले दो सप्ताह में मुट्ठी भर परिवारों को एक किलो चावल दिया। यह 4-5 सदस्यों के परिवार को खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है।” उन्होंने कहा कि इस इलाके के अधिकांश लोग पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों में दिहाड़ी मजदूर का काम करते हैं। लॉकडाउन के कारण हमरी रोजी-रोटी छिन गई है। हमें कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकार गरीबों के लिए फ्री में खाना दे रही है।

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